गुजरात में शिक्षा बजट 30000 करोड़, लेकिन सरकारी स्कूलों की स्थिति बहुत खराब, 17417 क्लासरूम की कमी
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गांधीनगर। गुजरात में शिक्षा का बजट 30 हजार करोड़ है, लेकिन स्कूलों में बच्चों को बिठाने के लिये पर्याप्त क्लासरूम नहीं हैं। क्लासरूम के अभाव से बच्चों को खुले मैदान में पढ़ना पड़ता है। कई स्कूल ऐसे हैं, जहां सुबह और शाम को क्लास चलती हैं। विधानसभा में सरकारी स्कूलों को लेकर पेश किए गए आंकड़ों से चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। राज्य में 6826 सरकारी स्कूलों में 17,417 क्लासरूम कम पाए गए हैं। वर्ष 2014 में सरकारी स्कूलों में 8,388 क्लासरूम नहीं थे, जो संख्या 2017 में 160,00 तक पहुंच गई। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार ने स्कूलों में कक्षाएं बढाई हैं, लेकिन कमरों की संख्या नहीं बढाई है। दिलचस्प यह भी है कि ये आंकड़े खुद राज्य सरकार द्वारा ही जारी किए गए हैं।
आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में स्कूलों की स्थिति ज्यादा खराब
आदिवासी बहुल जिले दाहोद में सबसे ज्यादा 720 स्कूलों में 2082 क्लासरूम नहीं हैं। बनासकांठा जिले में 410 सरकारी स्कूल हैं, जहां 1071 कमरे नहीं हैं। राज्य में सर्व शिक्षा अभियान, स्कूल एनरोलमेंट, कन्या पढ़ाओ और गुनोत्सव जैसे कार्यक्रम किये जाते हैं, लेकिन स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिये क्लासरूम या कमरें पर्याप्त मात्रा में नहीं है।
कमरों की कमी दोगुना तक बढ़ी
स्कूलों में कमरों की कमी पिछले चार साल में दोगुनी तक बढ़ गई है। सरकार ने कक्षाएं बढाईं, लेकिन कमरों का निर्माण नहीं हो पाया। एक क्लास में दो या तीन कक्षा के बच्चों को साथ में पढ़ाया जाता है।
यह है अन्य जिलों का हाल
गुजरात के अन्य जिलों जैसे कि पंचमहाल के 415 स्कूलों में 957, भावनगर में 312 स्कूलों में 891, आनंद में 269 स्कूलों में 872 औऱ वसलाड में 253 स्कूलों में 853 क्लासरूम की कमी है।
महेसाना में 191 स्कूलों में 629 क्लासरूम की कमी
इनके अलावा, साबरकांठा की 405 स्कूलों में 828, भरूच की 220 स्कूलों में 691, कच्छ की 301 स्कूलों में 666 और महेसाना की 191 स्कूलों में 629 क्लासरूम की कमी पाई गई है।
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