गुजरात सरकार पूरा बजट नहीं लाएगी इस बार, लोकसभा चुनाव की वजह से लेगी ये अहम फैसला
Gujarat News, गांधीनगर। गुजरात के वर्ष 2019-20 वित्त वर्ष के लिए आने वाले बजट में राज्य सरकार इस बार कुछ अलग करने जा रही है। सरकार पूरा बजट नहीं लाकर, महज चार महीने की लागत का बजट पेश कर सकती है। यानी, पूरे साल का बजट 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक हुआ तो उसमें से 65,000 करोड़ रुपये के खर्च को ही आगामी बजट में मंजूरी दी जा सकती है। जिससे यह बजट चार महीने के लिए हो जाएगा।
20
फरवरी
को
बजट
सत्र
की
संभावना
गुजरात
वित्त
विभाग
के
एक
अधिकारी
के
अनुसार,
लोकसभा
चुनाव
होने
की
वजह
से
गुजरात
सरकार
पूरा
बजट
पेश
नहीं
करेगी,
बल्कि
सरकार
चार
महीने
के
लिये
'वोट
ऑन
अकाउंट'
लेगी।
बता
दें
कि
राज्य
का
बजट
सत्र
20
फरवरी
से
शुरू
हो
सकता
है।
यहां
'वोट
ऑन
अकाउंट'
का
मतलब
है
कि
सरकार
अप्रैल
से
जुलाई
तक
चार
महीनों
के
लिये
लागत
अनुमोदित
करेगी।
बाद
में
जुलाई
2019
को
गुजरात
सरकार
अपना
पूर्ण
बजट
पेश
करेगी,
जिसमें
आठ
महीने
का
शेष
बजट
मंजूर
होगा।
अप्रैल-मई
में
लोकसभा
चुनाव
लोकसभा
चुनाव
इस
साल
अप्रैल
से
मई
के
बीच
हो
सकते
हैं।
ऐसे
में
आचार
संहिता
के
चलते
सरकार
अपना
पूर्ण
बजट
पेश
नहीं
करेगी।
फरवरी
में
बजट
सत्र
बहुत
कम
समय
के
लिये
होगा।
वित्त
विभाग
के
एक
वरिष्ठ
अधिकारी
ने
कहा
कि
हमने
विभागों
को
कहा
है
कि
अपने
विभाग
के
लिये
कितना
बजट
आवश्यक
है,
कौन-सी
नई
योजनायें
हैं,
उनका
विवरण
वित्त
विभाग
को
भेज
दें।
2
लाख
करोड़
रुपये
पूरे
साल
का
बजट
नये
साल
के
चार
महीनों
के
लिए
'वोट
ऑन
अकाउंट'
में
65
हजार
करोड़
रुपये
की
राशि
ली
जाएगी।
माना
जाता
है
कि
नए
साल
के
बजट
का
कद
2
लाख
करोड़
रुपये
होने
का
अनुमान
है।
तदनुसार,
विभागों
को
प्रस्ताव
तैयार
करने
के
लिए
कहा
गया
है।
बाकी
का
शेष
बजट
जब
जुलाई
में
आयेगा
तो
बाकी
के
आठ
महीने
के
लिये
प्रावधान
किया
जायेगा।
वाइब्रेंट
समिट
के
बाद
अब
गांधीनगर
के
सचिवालय
में
अगले
वित्त
वर्ष
के
लिए
बजट
के
संदर्भ
में
विभिन्न
विभागों
के
सचिवों
और
अन्य
अधिकारियों
द्वारा
चर्चा
शुरू
की
गई
है।