गुजरात में 1.42 लाख बच्चे कुपोषित, स्वास्थ्य मंत्री बोले- इस शब्द से तो कांग्रेस हमें बदनाम कर रही है
गांधीनगर। गुजरात सरकार अपने बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अच्छा-खासा इंतजाम करने के बावजूद कुपोषित बच्चों के लिये कोई ठोस योजना नहीं ला पाई है। सरकार ने विधानसभा में कुबूल किया है कि, राज्य में अब भी 1.42 बच्चे कुपोषित हैं, जिनमें से 24 हजार से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जिनकी इलाज के अभाव में जान भी जा सकती है। इन बच्चों का वजन बहुत ही कम पाया गया है।
राज्य स्वास्थ्य मंत्री विभावरी दवे ने कहा है कि, राज्य के आदिवासी जिलों, दाहोद में 14,191 और नर्मदा में 12,673 बच्चें का वजन कम पाया गया है। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी का कहना है कि कांग्रेस और भाजपा को साथ काम करने की जरूरत है, ताकि बच्चों की स्थिति सुधारी जा सकी। बता दें कि, पेटलाद के कांग्रेस विधायक निरंजन पटेल ने राज्य में कुपोषित बच्चों की संख्या के बारे में जानना चाहा था। उनके लिखित उत्तर पर चर्चा के बाद मंत्री ने कहा कि, कुपोषित शब्द का प्रयोग करके कांग्रेस के विधायक गुजरात को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।
मंत्री ने कहा कि, अगर प्रश्न उठाना है तो विधायक कम वजन वाले बच्चें शब्द का प्रयोग कर सकते हैं। मंत्री ने निरंजन पटेल के मतविस्तार की स्थिति समझाते हुए कहा कि, आणंद और वलसाड जिलों में 3.95 प्रतिशत बच्चे कम वजन के पाये गये हैं। विभावरी दवे ने कहा कि सरकार कुपोषण को निपटने के लिए आंगनबाड़ी के बच्चों और उनकी माताओं को गर्म भोजन, टेक-होम राशन, डबल फोर्टिफाइड नमक, फोर्टिफाइड ऑयल और फल प्रदान कर रही है।
जब कांग्रेस विधायकों ने कुपोषण से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाने की मांग की, तो मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने हस्तक्षेप किया और सदस्यों से "समस्या से लड़ने के लिए हाथ मिलाने" का आग्रह किया। रुपानी ने कहा कि, कम वजन के बच्चों के लिये राज्यभर में सरकार की स्कीमों के तहत बच्चों और माताओं को तंदुरस्ती के लिये फूड दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, 'भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टी के सभी सदस्यों ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है। हम राज्य से कुपोषण को पूरी तरह से खत्म करना चाहते हैं। मैं सभी सदस्यों से इसे एक आंदोलन के रूप में लेने और सरकार की मदद करने का आग्रह करता हूं। हम इस मुद्दे को लेकर गंभीर हैं और कुपोषण को खत्म करने के लिए कदम उठा रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि संशोधित बजट के साथ सामाजिक-आर्थिक समीक्षा पेश की गई है, सरकार ने कहा है कि कुपोषित-मुक्त गुजरात महाभियान (चरण IV) के तहत जो 15 जून 2018 और 30 सितंबर 2018 के बीच किया गया, जिसमें 57.48 लाख बच्चे थे। विभिन्न पोषण मापदंडों के लिए परिवार के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा 5 साल की उम्र तक जांच की गई। स्क्रीनिंग और अभ्यास के अंत में 34,344 बच्चों को तीव्र कुपोषण (एसएएम) से पीड़ित के रूप में पहचाना गया था।
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