गुजरात में ऋणमाफी नहीं, पढ़िए किसानों पर कितना है कर्ज का बोझ
Gujarat news, गांधीनगर। हाल ही तीन राज्यों में सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी का फैसला लिया, हालांकि गुजरात में भाजपा सरकार ऐसा करने से पीछे हटी हुई है। यहां सरकार का मानना है कि सूबे का किसान खुशहाल है, क्योंकि क्योंकि उनको सरकार ने काफी योजनाएं दे रखी हैं। राज्य में किसान इसलिये मजबूत है कि उसने कृषि के साथ पशुपालन व्यवसाय को साथ में ही खडा किया है। कई और भी दावे सरकार ने किए हैं, लेकिन आज हम आपको इस राज्य में हुई किसानों की आत्महत्या के बारे में आंकड़े पेश कर बताएंगे कि किसान यहां भी खुश नहीं हैं।
गुजरात के 43 फीसदी किसान कर्ज में डूबे हैं
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि गुजरात में 43 फीसदी किसान कर्ज में डूबा है। यहां 58.72 लाख ग्रामीण परिवार हैं और उनमें से 66.9% लोग कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों से संलग्न हैं। कुल 16.74 लाख परिवार कर्ज के दायरे में हैं। इन किसानों ने फसलों के उत्पादन के लिए बैंकों से ऋण लिया है।
2016-17 में 34.94 लाख किसानों ने कर्ज लिया
वहीं, 34.94 लाख परिवारों में से, 5.43 लाख परिवारों ने पाक लोन और टर्मलोन ली है। जो 54277 करोड रुपये होती है। लोन की कुल धन राशि में से 20412 करोड रुपये की लोन कृषि उपकरण खरीदने हेतु लिया है। बकाया 33884 करोड राशि की फसल लोन है। वहीं, राज्य में फसल ऋण के लिये आवेदन करने वाले किसानों की संख्या बढी है। 2014-15 में 22.49 लाख किसानों ने ऋण लिया था, जबकि 2016-17 में 34.94 लाख किसानों ने ऋण लिया। यह आंकड़े 55 फीसदी की वृद्धि दिखाते हैं। फसल को लिए गये कर्ज की राशि 28730 करोड़ से बढ़कर 33864 करोड़ हो चुकी है।
सरकार का इरादा कर्जमाफी का है ही नहीं
दो वर्ष में टर्म लोन लेने वाले किसानो में 40 फीसदी की वृद्धि है। 2014-15 में 3.88 लाख किसानों ने 10597 करोड़ रुपये की टर्मलोन ली थी, लेकिन 2016-17 में ये लोन की राशि 20412 करोड़ रुपये हो चुकी है। गुजरात सरकार के वित्त विभाग के मंत्री नितिन पटेल ने कहा है कि सरकार किसानों को विभिन्न योजनाओं में आर्थिक लाभ देती है, इसलिए किसानों का कर्ज माफ करने का कोई इरादा नहीं है।
गुजरात के किसान अमीर हैं या कर्जदार हैं
गुजरात का किसान अमीर है या गरीब वह तो कृषि विभाग के आंकड़े से पता चलता है। पिछले तीन महीनों में 13 किसान आर्थिक कठिनाइयों के कारण आत्महत्या कर चुके हैं। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़े से मालूम होता है कि गुजरात के हर किसान परिवार की मासिक आय केवल 3537 रुपये है।
किसान परिवार की औसत लागत 2250 रुपये
केन्द्रीय मंत्रालय के 2017 का रिपोर्ट से पता चलता है कि राज्य में किसान परिवार की औसत लागत 2250 रुपये है और राजस्व 5773 रूपये है। जिससे किसान परिवार की औसत मासिक आय पता चली है। देश के हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में मासिक आय गुजरात से ज्यादा पायी गई है।
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केरल की तरह यहां किसान की मासिक आय समान
दिलचस्प बात यह है कि 2016 के आंकड़ों के अनुसार, गुजरात के किसान परिवार की मासिक आय 7926 थी जिसमें गिरावट आई है। छोटे किसानों की आय वास्तव में रिपोर्ट में बताई गई तुलना से बहुत कम है। केंद्र की कृषि सांख्यिकी पॉकेट बुक के अनुसार, पंजाब के किसान की शुद्ध आय 16,349 रुपये है जबकि हरियाणा के किसान की आय 10916 रुपये है। कर्नाटक के किसान प्रति माह 5129 रुपये कमाता है। केरल और गुजरात में किसान की मासिक आय लगभग समान है।
कम वर्षा के कारण किसान आर्थिक संकट में फंसे
भारतीय किसान संघ ने माना है कि किसानों की आय अनुमानित आय से बहुत कम है। गुजरात में कम वर्षा के कारण किसान आर्थिक संकट में फंस गए हैं। केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी, लेकिन वर्तमान में ऐसा कोई परिवर्तन नहीं देखा गया है, क्योंकि इस वर्ष भारत में सूखा वर्ष है और फसल उत्पादन भी कम होने वाला है।
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