गुजरात में वोटिंग 23 अप्रैल को, पहली बार चुनाव आयोग के अधिकारी समीक्षा के लिए नहीं पहुंचे, क्या हैं वजह?
Gujarat News, गांधीनगर। गुजरात में पहली बार ऐसा हुआ है कि चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने लोकसभा चुनाव की वोटिंग के वक्त चुनावी समीक्षा के लिए गुजरात का दौरा नहीं किया है। पिछले एक महीने में कोई भी चुनाव आयुक्त गुजरात में नहीं आया है। जबकि, राज्य में जब भी विधानसभा और लोकसभा चुनाव होते हैं, तो ये दिल्ली के अधिकारी समीक्षा के लिए गुजरात आते हैं, लेकिन यह पहली बार हुआ है कि कोई नहीं आया।
कई शिकायतें चुनाव आयोग के समक्ष आईं, मगर..
गुजरात में आचार संहिता के उल्लंघन की कई शिकायतें चुनाव आयोग के समक्ष की जा चुकी हैं। हालांकि, राज्य के निर्वाचन अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। भाजपा के विधायक मधु श्रीवास्तव या भाजपा के अध्यक्ष जीतू वाघाणी के खिलाफ नोटिस के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। दिल्ली चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनाव प्रचार करने से दो दिन के लिये रोक दिया था। गुजरात में मधु श्रीवास्तव के साथ भी वैसा हो सकता था। कांग्रेस नेताओं ने चुनाव आयोग पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। भाजपा की गलतियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है और कांग्रेस नेताओं को नोटिस दिए जाते हैं।
वीडियो वायरल होने के बावजूद कार्यवाई नहीं हुई?
प्रधानमंत्री की जनसभाओं में, मोदी की तस्वीर के साथ टीशर्ट पहने हुये युवा उपस्थित होते हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने उसमे आचार संहिता के उल्लंघन होने की कोइ शिकायत दर्ज नहीं की है। पाटन की जनसभा में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के कार्यक्रम स्थल से लोगों को जाने से रोकने के लिए रुपये बांटे गये थे, वैसा वीडियो वायरल होने के बावजूद कोई कार्यवाई नहीं हुई है।
टीशर्ट या साडी मतदाताओं को देना आचार संहिता का उल्लंघन
गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने पहले कहा था कि किसी भी नेता की तस्वीरों के साथ टीशर्ट या साडी मतदाताओं को देना आचार संहिता का उल्लंघन है, लेकिन चुनाव आयोग अब एसी प्रवृत्ति को स्वीकार कर रहा है। चूनाव आयोग का कहना है, आचार संहिता में लिखा है कि, जिनका खर्च पार्टी के फंड से जाता है उसमें आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं होता है।
सरकारी-निजी इमारतों से 1.50 लाख से ज्यादा बैनर हटाए
चुनावी आचार संहिता के बाद, मोदी की तस्वीरें बैनर के साथ गुजरात के शहरी सड़कों पर पायी गई हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने कहा कि नगर निगम ने इन बैनरों को मंजूरी दी है। हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग के अधिकारी सत्तारूढ़ दल के नेताओं की कुछ गतिविधियों पर नजर अंदाज करते हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने दावा किया है कि, गुजरात में सरकारी और निजी इमारतों पर से 1.50 लाख से ज्यादा बैनर और पोस्टर्स हटा दिये गये हैं।
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