न गुजरात को मिला, न ही मध्यप्रदेश ले जा पाया पकड़कर, 35 साल बाद दिखे इकलौते बाघ की मौत
Gujarat News, गांधीनगर। करीब 35 साल के इंतजार के बाद इसी माह गुजरात में बाघ दिखा था, तब कहा गया था कि ये देश का इकलौता राज्य है जहां के जंगलों में शेर, बाघ और तेंदुए तीनों मौजूद हों। मगर, अब बड़ी दुख भरी खबर आई है। खबर ये कि जो बाघ महिसागर में कई स्थानों पर टहलते देखा गया था, उसकी मौत हो गई है। वन विभाग के अनुसार, लुनावाडा इलाके से एक डेडबॉडी मिली, जो उस बाघ की ही थी।
35 साल बाद गुजरात में दिखा था बाघ, हो गई मौत
फॉरेन डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने बताया, बाघ ने गुजरात की भूमि पर दम तोड़ दिया है। यहां महिसागर के जंगल में लुनावाडा के स्थानीय निवासियों की सूचना पर उसके शव को कब्जे में लिया गया।
3 दिन बाद चला पता, वहीं की उसकी अंत्येष्टि
एनटीसीए अधिकारी के अनुसार, ''हम 5 सदस्यों की टीम लेकर वहां पहुंचे, जहां बाघ था। वहां जाकर देखा कि, बाघ जिंदा नहीं है। यह शव 3 दिन पहले पाया गया था। हमने तय किया कि वहीं पर राष्ट्रीय सम्मान के साथ बाघ का अंतिम संस्कार करें।
30 नमूनों में किया गया पोस्टमॉर्टम
मुख्य वन संरक्षक, एनटीसीए प्रतिनिधि, गिर फाउंडेशन के पशुचिकित्सा, एनजीओ के प्रतिनिधि, जिला पादरी निदेशक, 3 पशुचिकित्सकों और महिसागर के उप वन संरक्षण दल की उपस्थिति में 30 नमूनों में मृत बाघ का पोस्टमॉर्टम किया गया।
80% बॉडी डैमेज हो गई थी, किसी ने शिकार नहीं किया
बाघ के नाखून, जबड़े के 2 दांत और सभी अंग सलामत पाए गए। इससे यह तय हुआ कि बाघ का किसी ने शिकार नहीं किया था। बल्कि, मरने के बाद उसका 80 प्रतिशत शरीर क्षय हो चुका था।
मध्य प्रदेश बोला- जो आपके जंगल में दिखा वो तो हमारा है, अब हमें शेर दें तो गुजरात को हम बाघ देंगे
न गुजरात को मिल पाया, न मध्य प्रदेश लौट सका
बाघ की मौत होने की खबर से अब जहां गुजरात में वाइल्डलाइफ लवर्स की खुशी छिन गई है, तो मध्य प्रदेश वन विभाग को भी धक्का पहुंचा है। दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने कहा था कि जो बाघ गुजरात में टहल रहा है, वह हमारे जंगलों से पहुंचा है। उसे वापस लाया जाएगा। इसके लिए वनकर्मियों की टीम भी रवाना कर दी गई थी। मगर, अब बाघ न तो गुजरात को मिल पाया और न ही वह मध्य प्रदेश लौट सका।
मौत के पीछे लगाए जा रहे ऐसे-ऐसे कयास
उसकी मौत की वजहों को जानने के लिए कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ का अंदाजा ये है कि बाघ की मौत खेतों में पड़े रसायन की वजह से हुई हो। क्योंकि, महिसागर जिले में किसान अपने खेतों में पेस्ट्रीसाइड बहुत डालते हैं। जिसे सुअरों ने खाया और फिर मरे हुए सुअरों को बाघ ने निशाना बनाया हो। तब वह मरा हो। वहीं, कुछ वनकर्मियों का कहना है कि बाघ की मौत सर्प के काटने की वजह से हुई होगी।
1983 के बाद अब हुई गुजरात में बाघ होने की पुष्टि; शेर, बाघ, तेंदुए की मौजूदगी वाला पहला राज्य बना
कैमरों में दिख जाता था शिकार को जाते हुए
कैमरे की फुटेज जारी करने वाले कर्मियों ने कहा था, मध्यप्रदेश से आया हुआ बाघ गुजरात में पिछले 15 दिनों से शिकार के लिये जाता दिख रहा था। यहां के लोग यही मानने लगे थे कि अब गुजरात में भी बाघ हैं। इसलिए स्थानीय निवासियों में भी खुशी देखी जा सकती थी। कुछ जंगल-प्रेमी यह भी कह रहे थे कि बाघ गुजरात की भूमि में आया है तो उसे वापस जाने नहीं देंगे, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। ना ये बाघ गुजरात रख सका, नहीं मध्यप्रदेश को मिला।
35 साल बाद गुजरात में लौटे बाघ, नाइट विजन कैमरे ने किया कैद, मौजूदगी का पता लगाने 5 टीमें जुटीं
फोरेंसिक रिपोर्ट से होगी मौत की वजह साफ
अधिकारियों ने उस बाघ के पोस्टमोर्टम के बाद लिये गये नमूनों को गांधीनगर की फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी और हैदराबाद की प्रयोगशाला में भेजा है। जहां पता चलेगा कि बाघ की मौत अप्राकृतिक कारणों से हुई है या बीमारी की वजह से। क्योंकि, अभी तक यही माना जा रहा है कि उसे या तो बीमारी लग गई या फिर जहर की वजह से उसका दम टूटा। ऐसे में फोरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ होगी कि बाघ की मौत कैसे हुई।
यह भी पढ़ें: 'जंगल के राजा' के लिए गुजरात भी नहीं सेफ, 1 साल में मरे 114 शेर, सासन गिर में सरकार ने क्या कदम उठाए