अहमद पटेल के दोस्त छोटू वसावा ने भरूच में भरा नामांकन, बढ़ी या कम हो गई कांग्रेस की मुश्किल?
गांधीनगर। गुजरात में भरूच लोकसभा सीट पर कांग्रेस को झटका लगा है। कांग्रेस नेता अहमद पटेल (ahmed patel congress) जहां से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं से उनके दोस्त ने भी नामांकन भर दिया है। अहमद पटेल अभी राज्यसभा के सांसद हैं और उनके यह दोस्त हैं छोटू वसावा (Chhotubhai Vasava)। छोटू वसावा वही लीडर हैं, जिनके समर्थन से कांग्रेस ने अहमद पटेल को राज्यसभा भेजा था। मगर, अब लगता है कि छोटू वसावा ने भरूच से चुनाव लड़ने का फैसला कर अहमद को ही झटका दे दिया है। यदि दोनों इस सीट पर चुनाव लड़ते हैं तो इसे भाजपा के लिए लाभप्रद बताया जा रहा है।
छोटू वसावा को भाजपा के खिलाफ समर्थन देने वाली थी कांग्रेस
बता दें कि, छोटू वसावा भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के सर्वेसर्वा हैं और फिलहाल गुजरात में विधायक हैं। पहले कांग्रेस उन्हें भाजपा के विरुद्ध समर्थन देने वाली थी, मगर बाद में कांग्रेस खुद अपने उम्मीदवार के रूप में अहमद पटेल को लोकसभा चुनाव लड़ाने पर विचार करने लगी। कांग्रेस को लग रहा था कि वह अहमद पटेल को चुनाव लड़ाती है तो छोटू वसावा अहमद के खिलाफ नहीं जाएंगे और भरूच से चुनाव नहीं लड़ेंगे, मगर छोटू वसावा ने उसी सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है।
भाजपा मनसुख वसावा को ला सकती है छोटू वसावा के सामने
दूसरी ओर, भाजपा मनसुख वसावा को यहां से अपना उम्मीदवार बना सकती है। वैसे अहमद पटेल को चुनाव लड़ाने का मन बनाने से पहले तक कांग्रेस के पास अपना मजबूत उम्मीदवार नहीं था, तो वह भाजपा के विरुद्ध छोटू वसावा को समर्थन देने को तैयार थी। छोटू का इस क्षेत्र में अच्छा प्रभाव रहा है, ऐसे में यह सीट भाजपा के लिए खतरा बन गई थी। अब इस सीट पर कांग्रेस-बीटीपी के बीच वोट बिखरने का खतरा हो गया है, जिसका फायदा भाजपा को होगा।
छोटू वसावा पहले जद-यू में थे, बाद में खुद की पार्टी बनाई
देखा जाए तो छोटू वसावा और अहमद पटेल मित्र रहे हैं। पहले छोटू नितीश कुमार की पार्टी जद-यू में थे। हालांकि, राज्यसभा में अहमद पटेल को वोट देने के बाद उनको पार्टी छोड़नी पड़ गई। विधानसभा चुनाव के दौरान छोटू ने अपना मोर्चा खोलने का ऐलान किया। उन्होंने भारतीय ट्राइबल पार्टी (Bharatiya Tribal Party) का गठन किया। गुजरात में उनकी पार्टी ने 2 सीटें जीतीं। जबकि, 2 सीटें उन्होंने राजस्थान में भी जीत लीं। आदिवासी वोटरों के बीच उनकी अच्छी पकड़ बताई जाती है।
कांग्रेस के पास दो रास्ते, छोटू को समर्थन देने में फायदा?
कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अहमद पटेल छोटू को मित्रता के नाते भरूच से चुनाव लड़ने दे सकते हैं। ऐसे में यदि अहमद पटेल लोकसभा चुनाव खुद नहीं लड़ते हैं तो कांग्रेस छोटू को भाजपा के खिलाफ समर्थन ही देगी। दो पार्टियों के मिलने से भाजपा को यहां वोट खोने पड़ सकते हैं, जिसका फायदा कांग्रेस को ज्यादा होगा। इसकी एक बानगी यह है कि भरूच सीट पर कांग्रेस ने अभी अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
कांग्रेस ने अहमद पटेल को लड़ाया लोकसभा चुनाव तो क्या होगा?
गुजरात
में
बीटीपी
ने
आदिवासी
सीटों
छोटा
उदयपुर,
बारडोली
और
वलसाड
में
अपने
उम्मीदवार
खड़े
किए
हैं।
अब
भरूच
से
खुद
छोटू
वसावा
मैदान
में
हैं।
स्थानीय
राजनीतिज्ञ
कहते
हैं
कि
यदि
कांग्रेस
यहां
अपना
उम्मीदवार
खड़ा
करती
है
तो
भाजपा
बढ़त
में
होगी,
क्योंकि
भाजपा
का
गुजरात
में
वर्चस्व
रहा
है।
दूसरे,
कांग्रेस-बीटीपी
को
अलग-अलग
लड़ने
का
नुकसान
होगा।
हालांकि,
अहमद
पटेल
गुजरात
में
कांग्रेस
के
वरिष्ठ
नेताओं
में
से
एक
हैं।
अब
देखा
यह
जाएगा
है
कि
कांग्रेस
यहां
खुद
का
प्रत्याशी
घोषित
करती
है
अथवा
छोटू
वसावा
को
ही
भाजपा
के
खिलाफ
समर्थन
देगी।