जांच आयोग ने दी आसाराम को क्लीनचिट, 2 बच्चों की मौत काले जादू से नहीं, पानी में डूबने से हुई थी
गांधीनगर। सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति डीके त्रिवेदी के आयोग ने अपनी जांच में आसाराम और जांच कर रही पुलिस को बड़ी राहत दी है। आसाराम के आश्रम में दो बच्चों दीपेश और अभिषेक की मौत के मामले में आयोग ने कहा है कि दोनों बच्चों की मौत पानी में डूबने से हुई थी। वे काले जादू से नहीं मरे थे।
'आसाराम के आश्रम में काला जादू नहीं होता'
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आसाराम के आश्रम में काला जादू नहीं होता है। पुलिस की जांच सही दिशा में है। 2008 में दीपक और अभिषेक की हुई मौत की जांच पर रिपोर्ट विधानसभा को सौंपी गई है। मामले की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीके त्रिवेदी ने की है।
समिति ने आसाराम को दी क्लीनचिट
बता दें कि, 3 जुलाई 2008 को आसाराम के मोटेरा आश्रम के गुरुकुल में रहने वाले दीपेश और अभिषेक के गायब होने की और रहस्यमयी मौत की घटना पर सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीके त्रिवेदी के नेतृत्व में एक जांच समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने रिपोर्ट दी है जिसमें आसाराम को क्लीनचिट दे दी है। रिपोर्ट की सिफारिश है कि ऐसी घटनाएं भविष्य में नहीं होनी चाहिये। इसके साथ ही, आश्रम को आयोग के नियमों का पालन करने के लिए कहा गया है। इस मामले में, बच्चों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए मामला सीआईडी को सौंपा गया था। आयोग द्वारा दिए गए विशेष निर्देश और इसके अनुपालन का विवरण विधानसभा में प्रस्तुत किया गया।
त्रिवेदी ने स्थानीय पुलिस जांच को क्लीनचिट दे दी
वहीं, अब आई रिपोर्ट से लगता है कि दीपश और अभिषेक के लापता होने के बाद आश्रम के प्रबंधकों की लापरवाही सामने आई है। आयोग ने आश्रम की गुमशुदगी की जांच स्वीकार कर ली है। आयोग की जांच ने माना है कि, स्थानीय पुलिस की जांच में कोई गलती नहीं थी। ऐसे में त्रिवेदी ने स्थानीय पुलिस जांच को क्लीनचिट दे दी है। यह निष्कर्ष निकाला गया है कि आश्रम प्रबंधन की लापरवाही थी। साथ ही, रिपोर्ट में कहा गया है कि, 10 साल से कम उम्र के बच्चों को गुरुकुल में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गुरुकुल को ध्यान रखना चाहिए।
2008 में गायब हुए थे 2 भाई, नदी किनारे लाशें मिलीं
जुलाई 2008 में, आसाराम आश्रम में रहने वाले दो चचेरे भाई दीपेश और अभिषेक शाम को संदिग्ध रूप से गायब हो गये थे। इसके बाद साबरमती नदी के किनारे से दोनों बच्चों के शव बरामद किए गए। जांच के लिए आयोग का गठन अगस्त 2008 में किया गया था। 2012 में, सीआइडी ने अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर किया। जिससे, 2013 में राज्य सरकार को गवाहों के बयान सौंपे गए थे, जिन्हें विधानसभा में सार्वजनिक किया गया है।