अमेरिकन कंपनी पेप्सिको ने गुजरात के 3 किसानों के खिलाफ ठोका दावा- नहीं बेच सकते आलू, हमारा पेटेंट है
Gujarat News, गांधीनगर। खाद्य और पेय पदार्थ तैयार करने वाली दिग्गज अमेरिकन कंपनी पेप्सिको ने गुजरात के 3 किसानों के खिलाफ दावा ठोका है। कंपनी का कहना है कि गुजरात के ये किसान अवैध रूप से पंजीकृत आलू की किस्म बेच रहे हैं। पेप्सिको ने दावा किया कि अपने ब्रांड के चिप्स के निर्माण के लिये वह स्पेशल आलू इस्तेमाल करती है, ऐसे आलुओं पर केवल उसका ही अधिकार है। इसलिए कंपनी के अधिकारियों द्वारा गुजरात में तीनों किसानों के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया गया है।
पेप्सिको कंपनी बोली- खास किस्म हैं आलू, व्यापारी अवैध तरीके बेच रहे
कंपनी के अधिकारियों ने कहा है कि अपने लेयल ब्रांड के चिप्स के निर्माण के लिए हमने ही खास आलू विकसित करने का एकमात्र अधिकार पाया है। जबकि, ये व्यापारी (किसान) अवैध तरीके से उस आलू की किस्म बेच रहे हैं।
अदालत ने मानीं पेप्सिको की दलीलें, इन 3 किसानों को किया पाबंद
चौंकाने वाली बात यह है कि देश की प्लांट वैरायटी रजिस्ट्री में आलू की किस्म के कंपनी पंजीकरण को देखते हुए, वाणिज्यिक अदालत ने उन तीनों किसान छबीलभाई पटेल, विनोद पटेल और हरिभाई पटेल के खिलाफ फैसला दिया है। इस फैसले में कहा गया है कि वे 26 अप्रैल तक आलू नहीं बेच सकते हैं। वहीं, पेप्सिको ने किसानों पर अपने अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। कंपनी के अनुरोध पर वाणिज्यिक अदालत ने विवाद की जांच करने औऱ एक रिपोर्ट तैयार करने के लिये कहा है। अदालत ने इसके लिये पारस सुखवानी को आयुक्त नियुक्त किया है।
कंपनी ने यह दीं अदालत में दलीलें
पेप्सिको इंडिया होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड ने अदालत को सूचित किया है कि वह अपने ब्रांड के लिए चिप्स बनाने के लिए FL 2027, FL 1867 और विस्चिप किस्मों को पंजीकृत किया है और उसी किस्म का उपयोग करती है। कंपनी FL 2027 का पंजीकृत प्रजनक पादप संरक्षण और किसान अधिकार अधिनियम, 2001 के तहत पंजीकृत है। भारत में इस किस्म को पहली बार 2009 में व्यावसायिक उपयोग के लिए रखा गया था और ट्रेडमार्क FC5 के तहत इसका कारोबार किया जाता है। इसने पंजाब के कुछ किसानों को बायबैक प्रणाली पर विविधता विकसित करने के लिए लाइसेंस प्रदान किया है।
क्या किसान पंजीकृत आलू बेच रहे थे?
पेप्सिको कंपनी के मुताबिक, बिना लाइसेंस के इन आलू को उगाने के लिये गुजरात के तीन किसानों ने वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। ऐसे में पता चलते ही आलू के नमूने एकत्र किए गये और इन-हाउस प्रयोगशाला के साथ-साथ डीएनए विश्लेषण के लिए शिमला स्थित आईसीएआर और केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान में सत्यापन के लिए भेजे। परिणामों से पता चला कि गुजरात के यह किसान पंजीकृत आलू बेच रहे थे।
अदातल ने कहा- अभी जांच कराई जाएगी
कंपनी की दलीलें सुनने पर अदालत ने कहा, इस स्तर पर ऐसा प्रतीत होता है कि कंपनी के पास इसके पक्ष में बढ़त है। कंपनी की दलीलों में कहा गया है कि अगर किसानों को आलू उगाने और बेचने से अस्थायी रूप से नहीं रोका गया तो कंपनी को अपूर्णीय क्षति होगी। ऐसे में अदालत ने इन्वेंट्री तैयार करने, नमूने लेने और विश्लेषण के लिए शिमला में सरकारी प्रयोगशाला और आलू अनुसंधान केंद्र में भेजने के लिए अदालत आयुक्त को नियुक्त किया है।
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कार्यवाई की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी होगी
अदालत ने यह भी कहा कि यदि आयुक्त की नियुक्ति नहीं की जाती है, तो प्रतिवादी अपने परिसर में पड़े स्टॉक का निपटान कर सकते हैं और सबूत नष्ट कर सकते हैं। अदालत ने पुलिस अधिकारियों को कोर्ट कमिश्नर को सुरक्षा प्रदान करने का भी आदेश दिया है, जो कार्यवाई की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करेंगे।
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