गुजरात: अंबाजी-गुंबद का CM रूपाणी ने उद्घाटन किया, भक्त ने मंदिर पर चढ़ाया सवा 2 किलो सोना
Gujarat News, गांधीनगर। गुजरात में गांधीनगर स्थित प्रसिद्ध यात्राधाम अंबाजी मंदिर का गुंबद इन दिनों सोने से सुशोभित किया जा रहा है। मंदिर की खूबसूरती देख मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा है कि इस तीर्थस्थल को पूर्णरूप से स्वर्णजड़ित किया जाएगा। उनके इस ऐलान के बाद एक भक्त ने तुरंत सवा दो किलो सोना दान करने की घोषणा कर दी। अब इस मंदिर को और अधिक भक्तों से स्वर्ण-दान मिलने लगा है।
मुख्य शिखर स्वर्ण मंदिर जैसा
बता दें कि, मुख्यमंत्री रूपानी ने आज अंबाजी के स्वर्ण गुंबद का उद्घाटन किया है। उन्होंने कहा है कि अब पूरा मंदिर स्वर्णजड़ित करना है। वहीं, अब तक मुख्य गुंबद को सुवर्णमय बनाने के लिये 140 किलोग्राम सोने का इस्तेमाल हो चुका है। बाकी छोटे गुंबद के पर सोना लगाने पर काम शुरू किया जा रहा है।
भक्त कर रहे स्वर्ण-दान
मंदिर को स्वर्ण-जड़ित करने में भक्तों का बड़ा योगदान रहा है। इनसे सोने का दान तो मिल रहा है, साथ ही रुपयों का चढ़ावा भी आ रहा है। पिछले दो साल में अंबाजी को 88 करोड़ रुपये का दान मिला था। गांधीनगर में खोरज के रहिश और बिल्डर मुकेश पटेल ने 2012 में 25 किलोग्राम सोने का दान किया था, जो अब तक मिले दान में सबसे ज्यादा बताया जा रहा है। पिछली पूर्णिमा के समय अंबाजी मंदिर में एक किलो सोने का दान दिया गया।
1,580 भक्तों से मिला सोने का चढ़ावा
एक जानकारी के मुताबिक, मंदिर के लिए 10 ग्राम सोना दान करने वाले दानदाताओं की संख्या 23 हो गई है। मंदिर के ट्रस्ट में 10 ग्राम से लेकर 100 ग्राम तक की केटेगरी तय की गई है, जिसमें विभिन्न भक्त दान करते हैं। विभिन्न श्रेणियों में कुल 1,580 भक्तों ने सोने का चढ़ावा किया है, जिसमें पांच एनआरआई परिवार भी शामिल हैं।
कमाल की बात- प्रतिमा नहीं हुई स्थापित
अरासुरी अम्बाजी मन्दिर में कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है, केवल पवित्र श्रीयंत्र की पूजा मुख्य आराध्य रूप में की जाती है। इस यंत्र को कोई भी सीधे आंखों से देख नहीं सकता। इसकी फ़ोटोग्राफ़ी भी निषेध है।
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पूर्णिमा के दिन लगता है बड़ा मेला
मां अम्बाजी की मूल पीठस्थल कस्बे में गब्बर पर्वत के शिखर पर है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां तीर्थयात्रा करने वर्ष पर्यन्त आते रहते हैं, विशेषकर भदर्वी पूर्णिमा के दिन यहाँ बड़ा मेला लगता है।
1200 साल पुराना है ये मंदिर
मान्यता है कि यह मंदिर 1200 साल पुराना है। इस मंदिर का शिखर 103 फीट ऊंचा है और इस पर 358 स्वर्ण कलश स्थापित हैं। वहीं, कहा यह भी जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का मुंडन-संस्कार इसी स्थान पर संपन्न हुआ था। उनसे पहले भगवान राम भी शक्ति की उपासना के लिए यहां आए थे।