गुजरात के 20वें राज्यपाल बने आचार्य देव व्रत, वेद प्रचार के लिए मिले हैं उनको कई अवार्ड
गांधीनगर। आचार्य देव व्रत सोमवार को गुजरात के 20वें राज्यपाल नियुक्त किए गए हैं। सोमवार को वह राजभवन में शपथ लेंगे। इससे पहले वह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे। राज्य के राज्यपाल ओम प्रकाश कोहली का कार्यकाल पूरा होने के बाद गुजरात में देव व्रत की नियुक्ति की गई है। वह सोमवार सुबह 11.00 बजे शपथ ले सकते हैं।
हिमाचल के राज्यपाल रहे हैं आचार्य देव व्रत
देव व्रत हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भाजपा के सक्रिय सदस्य रहे हैं, लेकिन उनका कोई राजनीतिक करियर नहीं है। आर्य समाजी होने के चलते, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और बाबा रामदेव के साथ भी अच्छे संबंध है। सूत्रों का कहना है कि बाबा रामदेव की सिफारिश पर उन्हें हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था। बाबा चाहते थे कि देव व्रत विधानसभा चूनाव लड कर विधायक बने, लेकिन एसा हुआ नहीं। उन्होंने 12 अगस्त, 2015 को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में पदभार संभाला था। 18 जनवरी, 1959 को हरियाणा के समालखा में जन्मे देवव्रत सामाजिक जीवन में आर्य समाज के प्रचारक रहे हैं।
इन्हें काम के लिए 19 पुरस्कार मिले
हिमाचल के राज्यपाल बनने के बाद, उन्होंने अधिकारियों को अपने कार्यालय में बुलाकर नशीली दवाओं के दुरुपयोग और असहिष्णुता के मुद्दे पर तत्काल बैठक के बाद उचित कार्रवाई करने का फैसला लिया था। इसके अलावा, वह भ्रूण हत्या निर्मूलन अभियान और बेटी बचाओ, बेटी पढाओ योजना से जुड़े हुए हैं। उन्हें शिक्षा में अपने काम के लिए 19 पुरस्कार मिले हैं, जिनमें भारत ज्योति पुरस्कार और अमेरिकन मेडल ऑफ ऑनर शामिल हैं।
विदेशों तक किया वेद प्रचार
आॅल इंडिया काउंसिल फॉर मेचुरोपैथी, नई दिल्ली से 2002 में उन्होंने डॉक्टर आॅफ नेचुरोपैथी एंड यौगिक विज्ञान की पदवी हासिल की। वह वेद प्रचार के लिये स्विटज़रलैंड, नीदरलैंड, हॉलैंड, फ्रांस, इंग्लैंड, इटली, वेटिकन सिटी, नेपाल और भूटान भी गए।
प्रदूषण मुक्त वातावरण के लिए काम करते रहे हैं
1980 के दशक से उन्होंने कुरूक्षेत्र के गुरुकुल में संरक्षक, अभिभावक और वार्डन के रूप में कार्य किया है। वह अपने दैनिक जीवन में ईमानदारी, अनुशासन, समय की पाबंदी के लिए जाने जाते है। आचार्य देव व्रत ने 1984 में पंजाब विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। वे प्रदूषण मुक्त वातावरण के लिए काम करते रहे हैं। राज्यपाल पद पर नियुक्त होने के बाद देव व्रत ने हिमाचल में कहा, "हिमाचल में अच्छे गुरुकुल खोलने की जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भारतीय संस्कृति को जान सकें और सम्मानित महसूस कर सकें।"
बाबा रामदेव की तारीफ की
अपनी
नियुक्ति
में
रामदेव
की
भूमिका
के
बारे
में
उन्होंने
कहा:
"वह
हमेशा
एक
मार्गदर्शक
रहे
हैं
और
उनका
आशीर्वाद
मेरे
साथ
हैं।
गुरुकुल
मेरा
परिवार
है
क्योंकि
मैंने
अपना
34
वर्षों
का
जीवन
वहां
बिताया
है।"
वह
कहते
हैं
कि
मेरे
सामाजिक
कार्यो
को
धर्म
मान
कर
ही
मैंने
काम
किया
है।
गुरुकुल
में
युवा
शक्ति
को
देश
की
सदस्यता
और
संस्कृति
की
रक्षा
के
लिए
तैयार
रहना
चाहिए।"