गुजरात में रह रहे 42 लाख लोग गैर-गुजराती, 2 शहरों में 50% आबादी दूसरे राज्यों से बसी
गांधीनगर। गृहमंत्री अमित शाह के गृहराज्य गुजरात में अन्य प्रांतों के करीब 42 लाख लोग रह रहे हैं। यहां दो शहरों (अहमदाबाद और सूरत) की 50% आबादी बाहर के लोगों की है। गुजरात में रहने वाले अन्य राज्यों के लोगों में सर्वाधिक यूपी-महाराष्ट्र से हैं। इसके बाद बिहार, ओडिशा, राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों के लोगों की संख्या है। रजिस्ट्रार जनरल एवं जनगणना आयुक्त के कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, 41.62 लाख लोग ऐसे हैं जो कि अपने प्रांत छोड़कर गुजरात में बसे। जबकि, दूसरी ओर 15 लाख से अधिक गुजराती लोग दूसरे राज्यों में चले गए।
गुजरात में यूपी-महाराष्ट्र के लोगों की संख्या ज्यादा
सूरत गुजरात में ऐसा शहर है, जहां की 64.6 प्रतिशत आबादी यहीं की, जबकि 32.2 प्रतिशत लोग बाहर के हैं। उसके बाद अहमदाबाद में बाहर के लोगों की आबादी 12.4 प्रतिशत पाई गई है। अहमदाबाद में राजस्थान से अधिकतम 2.16 लाख, उत्तर प्रदेश से 1.9 लाख और महाराष्ट्र से 1.10 लाख लोग अहमदाबाद में बसे हैं।
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बाहर के 8.8 लाख लोग सूरत में रहते हैं
विश्व आर्थिक मंच की हालिया रिपोर्ट जो कि माइग्रेशन और शहरों पर इसके प्रभाव को लेकर जारी की गई थी, उसमें कहा गया है कि एशियाई क्षेत्र में पुणे और सूरत सबसे अधिक प्रभावित शहरों में से हैं, क्योंकि ये शहर मुंबई को आबाद करने के लिए काउंटर-मैग्नेट के रूप में कार्य करते हैं। करीबन, 1.75 लाख लोग अपने जन्म के बाद सूरत आए। अब लगभग 8.8 लाख लोग अपने परिवारों के साथ डायमंड सिटी सूरत में रहते हैं। शहर की कुल आबादी 44.6 लाख है।
जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए महाराष्ट्र पसंदीदा
मुंबई में रहने की अत्यधिक लागत, बेहतर अवसरों की तलाश में प्रवासियों को सूरत में आकर्षित किया है। यह अब कई नागरिकों के लिए पसंदीदा स्थान है, जो नौकरी के अवसरों, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रियल एस्टेट निवेश और जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए महाराष्ट्र जाते हैं।
एक मिनी इंडिया जैसा है सूरत
गुजरात में सूरत और अहमदाबाद के अलावा जामनगर, भावनगर, राजकोट औऱ वडोदरा में भी अन्य राज्यों से आये हुये परिवारों की आबादी बढ रही है। गुजरात के सूरत को ऐसा माना जाता है कि कि जैसे पूरा हिंदुस्तान सूरत में बसा हो। अधिकांश प्रवासी लोग काम के अवसरों और व्यवसाय की तलाश में गुजरात के शहरो में आते है।
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गुजरात के इन दो शहरों में बाहर के ज्यादा बसते हैं
उत्तरी भारतीय राज्यों के श्रमिकों पर हाल के हमलों के साथ, प्रवासन की समस्या बढ़ रही है, विशेषज्ञों का कहना है, विभिन्न राज्यों से पांच लाख से अधिक आबादी वाइब्रेंट गुजरात में औद्योगिक इकाइयों का आधार बनती है। आईआईएम-अहमदाबाद में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर चिन्मय तुम्बे ने कहा कि भारत के प्रमुख शहरों से आने वाले प्रवासियों में से 70 प्रतिशत सूरत में और 50 प्रतिशत अहमदाबाद में आते हैं।
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मुंबई और सूरत में ज्यादा प्रवासी
गुजरात के अन्य शहरों में विस्थापितों की आबादी कम है। तुम्बे की पुस्तक 'इंडिया मूविंग: द हिस्ट्री ऑफ माइग्रेशन' प्रकाशित हुई थी। उन्नीसवीं शताब्दी में, निज़ाम शासित हैदराबाद तितर-बितर होने लगा। लोग सदियों से मुंबई चले आए हैं। जब राज्य में कोई रोजगार नहीं है, तो प्रवासी शहरों की ओर पलायन करते हैं। यदि आप प्रवासन आबादी चाहते हैं, तो मुंबई और सूरत में प्रतिशत अधिक है।
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पंजाब-गुजरात प्रवासियों को शरण देने के लिए जाने गए
टुम्बे ने कहा कि पंजाब और गुजरात में ऐतिहासिक रूप से एक भावना थी। इन दोनों राज्यों को बड़ी संख्या में प्रवासियों को शरण देने के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। गुजरात और केरल ऐसे राज्य हैं जहाँ श्रमिक प्रवास करने के लिए उत्सुक हैं।