क्लर्क की नौकरी छिनी तो रिक्शा चलाकर किया जीवनयापन, 28 साल बाद हाईकोर्ट ने दिलाई वापस
गांधीनगर। गुजरात में जैतपुर नगर निगम में बतौर क्लर्क नौकरी करने वाले योगेश केलैया को 28 साल बाद इंसाफ मिला है। योगेश केलैया से बिना कारण बताए क्लर्क की नौकरी छीन ली गई थी, जिसके बाद वह म्युनिसपैलिटी के खिलाफ अदालत पहुंच गए थे। यह केस बहुत लंबा चला। इसी बीच योगेश केलैया रिक्शा चलाकर जीवनयापन करने लगे। मगर, बीते हफ्ते हाईकोर्ट ने जब उनके पक्ष में फैसला सुनाया, तो खुशी से उनके आंसू छलक पड़े। हाईकोर्ट ने नगर निगम को आदेश दिया है कि केलैया की नौकरी बहाल की जाए। यह फैसला सुनाने से पहले हाईकोर्ट ने कोर्ट के वर्ष 2006 के फैसले को पलटा।
संवाददाता के अनुसार, केलैया के वकील ने हाईकोर्ट में केलैया का पक्ष रखते हुए कहा था कि उनके मुवक्किल को 1990 में अकारण नौकरी से निकाल दिया गया था। इस तरह नौकरी से निकालना इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट ऐक्ट, 1947 के सेक्शन 25 (एफ) का उल्लंघन था। केलैया ने यह केस 28 साल लड़ा। अब हफ्ते हाईकोर्ट से उन्हें न्याय मिला है। क्लर्क की नौकरी जाने के बाद परिवार के खर्चे चलाने के लिए केलैया को काफी संघर्ष करना पड़ा।
बकौल केलैया, ''28 सालों तक मैं छकड़ा रिक्शा चलाता रहा। इससे 100-200 रुपये हर दिन कमाई हो जाती थी। साल 2007 में लेबर कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और जेतपुर नगर निगम को आदेश दिया कि मेरी नौकरी बहाल की जाए। किंतु, वह खुशी बहुत कम देर टिकी और नगर निगम ने लेबर कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका डाल दी थी। अब हाईकोर्ट ने नगर निगम को नौकरी बहाली के आदेश दिए हैं।''
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