गुजरात की जेलों में 5 साल में 200 मोबाइल पकड़े गए, 200 से ज्यादा कैदियों के खिलाफ केस हुए दर्ज
Gujarat News In Hindi, गांधीनगर। गुजरात में बीते पांच सालों में जेल के अंदर 200 से ज्यादा कैदियों के पास मोबाइल फोन देखे गए हैं। यहां साबरमती जेल समेत कई जिलों की जेलों में कैदी खूब मोबाइल फोन यूज कर रहे हैं। अच्छी-खासी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद पुलिसकर्मियों को नहीं पता चलता कि ये मोबाइल फोन जेल में कैसे पहुंच जाते हैं। इससे भी हैरानी की बात यह है कि वे सीसीटीवी कैमरे और जैमर के बावजूद अंदर ही मोबाइल फोन से बात करते देखे जा सकते हैं।
5 वर्षों में गुजरात की जेलों में 200 से अधिक मोबाइल फोन जब्त
राज्य के गृह विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में गुजरात की जेलों में 200 से अधिक मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं। मोबाइल के उपयोग के लिये पुलिस स्टेशन में 160 मामले दर्ज हुए हैं और मोबाइल उपयोगकर्ता कैदियों के खिलाफ 230 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। बीते दिनों जेलर की एक टीम ने साबरमती न्यू सेंट्रल जेल में जांच की, जहां सर्कल बैरक नंबर 6/1 में एक प्रमुख कैदी करण सिंह सोलंकी के पास मोबाइल फोन मिला। पूछताछ के दौरान करण सिंह ने मोबाइल फोन अपने पैरों के नीचे रख लिया था। वह एंड्रॉइड सिस्टम व डुअल सिमकार्ड वाले फोन के साथ पकड़ा गया। अब जेल में उसके पास ये मोबाइल फोन कैसे पहुंचा, इसकी जांच एसओजी की टीम को सौंपी गई है। ये टीम पिछले मामलों की भी जांच करेगी।
150 से अधिक मामले दर्ज किए गए
वैसे गुजरात में अन्य जेलों के मुकाबले अहमदाबाद की साबरमती जेल ज्यादा संवेदनशील मानी जाती है, जहां पिछले सालों में ज्यादा मोबाइल फोन पकड़े गए हैं। साबरमती जेल सहित राज्य की जेल में बंद मोबाइल फोन के 150 से अधिक मामले पांच साल में दर्ज किए गए हैं। 2014 में, 24 अपराधों में 30 मोबाइल जब्त किए गए हैं। इस फोन का उपयोग 58 कैदी करते थे। 2015 में, 30 अपराध में 40 फोन का उपयोग करने के लिये 70 कैदियों को गिरफ्तार किया गया है। 2016 में, 35 मोबाइल का उपयोग करने वाले 60 और 2017 में 45 मोबाइल का उपयोग करने 17 कैदियों को गिरफ्तार किया गया है।
मोबाइल फोन के इस्तेमाल को रोकने के लिए जामर प्रणाली सक्रिय
इसके अलावा, 2018 में 30 अपराधों में 45 मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए 22 कैदियों के खिलाफ एक्शन लिया गया। हालांकि, ऐसे बड़े पैमाने पर कैदी मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, फिर भी सुरक्षा कर्मचारियों के उपर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। साबरमती जेल में कैदियों द्वारा मोबाइल फोन के इस्तेमाल को रोकने के लिए जामर प्रणाली सक्रिय है, लेकिन हालत यह हैं कि यह 'जामर' जेल में काम नहीं कर रहे हैं औऱ आसपास के रिहायशी इलाकों में सक्रिय हैं। यद्यपि जेल में टेलीफोन बूथ मौजूद हैं, लेकिन कैदी मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं।
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