लोकसभा चुनाव 2019: देवास में गैर राजनीतिक उम्मीदवारों की टक्कर
नई दिल्ली। देवास लोकसभा क्षेत्र में इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो पहले कभी सक्रिय राजनीति में नहीं रहे। कांग्रेस ने इस अजा सुरक्षित सीट पर कबीरवाणी के मशहूर लोकगायक प्रहलाद सिंह टिपानिया को टिकट दिया है, तो भाजपा ने उनसे 30 साल छोटे महेन्द्र सिंह सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है। सोलंकी राजनीति में आने के पहले सिविल जज के पद पर कार्यरत थे, वे अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर चुनाव के रण में उतरे है। कांग्रेस के उम्मीदवार को एक गायक के रूप में ख्याति प्राप्त है, तो भाजपा के उम्मीदवार अपेक्षाकृत कम ख्याति वाले है, लेकिन उनके पास अनुभव की पूंजी है। कांग्रेस के उम्मीदवार टिपानिया को 2011 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वे कहते है कि मैं जनमानस में सकारात्मक सोच पैदा करने के उद्देश्य से राजनीति में सक्रिय हुआ हूं। मेरा लोकसंगीत ही मेरे भाषण है।
टिपानिया की सभाओं में दिखी भारी भीड़
टिपानिया जहां जाते हैं, वहां भाषण के बजाय कबीर के भजन गाते हैं। राहुल गांधी की उपस्थिति वाली सभा में भी उन्होंने भजन ही सुनाए। भजन गायक के रूप में उनकी ख्याति देशभर में है और ग्रामीण बहुल मतदाताओं वाली देवास सीट पर उनकी सभाओं में लोग बड़ी संख्या में आते हैं। शायद इसलिए भी कि नेताओं के भाषणों से लोग ऊब चुके है। भाजपा के प्रत्याशी सोलंकी के पक्ष में पार्टी ने पूरा जोर लगा दिया है। भाजपा प्रत्याशी सभी जगह यही कहते हैं कि मैं नेता नहीं हूं, मैंने न्यायाधीश के रूप में हमेशा गरीबों की बातें सुनी और फिर फैसले लिए। मेरा काम ही मेरी सेवा है। इस सेवा से मेरा दायरा बढ़ा और मैं समाज के और करीब आया। भाजपा प्रत्याशी सोलंकी के पक्ष में प्रचार करने के लिए भाजपा की भोपाल की प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भी आई थीं। साध्वी प्रज्ञा का नाथूराम गोडसे के बारे में दिया गया बयान इलाके की सियासत में तूफान खड़ा कर चुका है। नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, देशभक्त है और देशभक्त रहेंगे वाला बयान आने के बाद मीडिया में सवाल उठने लगे, तब भाजपा ने प्रज्ञा ठाकुर के इस बयान से पल्ला झाड़ लिया। विवाद बढ़ा, तो प्रज्ञा सिंह ने भी माफी मांग ली और टि्वटर पर उस बारे में पोस्ट लिख दी।
देवास और खंडवा में 19 मई को एक साथ मतदान
1957 में देवास लोकसभा क्षेत्र शाजापुर के अंतर्गत आता था। 1962 में देवास लोकसभा संसदीय क्षेत्र गठित किया गया। पहले खिलचीपुर, राजगढ़, ब्यावरा, नरसिंहगढ़, सुसनेर, आगर शाजापुर, शुजालपुर, देवास, कन्नौद, सोनकच्छ और महिदपुर विधानसभा सीटें इस संसदीय क्षेत्र में आती थी। 1962 के बाद 1967 में इस संसदीय क्षेत्र का नाम शाजापुर लोकसभा क्षेत्र कर दिया गया और देवास जिले की सभी सीटें उज्जैन में मिला दी गई। 1977 में फिर परिसीमन हुआ और इस लोकसभा क्षेत्र में देवास, सोनकच्छ और हाटपिपल्या शामिल किए गए। 10 साल पहले 2009 में फिर परिसीमन हुआ और फिर देवास लोकसभा क्षेत्र नामकरण हुआ। देवास के मतदाताओं का कहना है कि बार-बार के इस परिसीमन से देवास संसदीय क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ, क्योंकि नेताओं के इरादे हमेशा अपने स्थानीय मुद्दों को ही आगे लाना रहा। वर्तमान में देवास जिले का खातेगांव विदिशा लोकसभा क्षेत्र में है और बागली विधानसभा सीट खंडवा लोकसभा क्षेत्र में है। देवास और खंडवा में 19 मई को एक साथ मतदान है, वरना जिला प्रशासन को 3 चरणों में मतदान की व्यवस्था करनी पड़ती। उम्मीदवारों को भी तीन-तीन जिला कलेक्टरों से एनओसी वगैरह लेना पड़ती।
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दोनों पार्टियां लगा रही हैं ये अनुमान
देवास लोकसभा सीट के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। दोनों ही पार्टियों के शीर्ष नेता इस संसदीय क्षेत्र में प्रचार कर चुके हैं। कमलनाथ और शिवराज सिंह चौहान दोनों ही अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लगातार संपर्क में है और कई बार क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। कांग्रेस को लगता है कि इस बार लोकगायक टिपानिया इस क्षेत्र में मतदाताओं को जीतने में सफल होंगे। वहीं भाजपा तथ्यों और मुद्दों की बात करते हुए अपनी जीत का दावा कर रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में देवास सीट से भाजपा के मनोहर ऊंटवाल सांसद निर्वाचित हुए थे। गत विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ऊंटवाल को आगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था। अब मनोहर ऊंटवाल विधायक हैं, उन्हें आशा थी कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी और वे मंत्री बनेंगे, लेकिन उन्हें मंत्रीपद तो नहीं मिला, सांसदी भी जाती रही और वे विधायक पद पर ही रहकर संतुष्ट हैं। शिवराज सिंह चौहान का दावा है कि हम मध्यप्रदेश की सभी लोकसभा सीटें जीतेंगे।
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