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जावेद आबिदी के लिये कभी आड़े नहीं आयी विकलांगता

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जावेद आबिदी की चाहत थी लेख बनकर सामयिक सवालों पर गंभीर लेखन किया जाए। वे पढऩे में मेधावी थे, पर जिंदगी अपनी शर्तों पर चलती है। आठ साल की उम्र तक सब कुछ ठीक रहा। उसके बाद गड़बड़ शुरू हुई। स्पाइनलकोर्ड की मामूली सी लगने वाली तकलीफ इतनी गंभीर हो गई कि 15 साल की उम्र तक पहुंचते-पहंचते वे व्हीलचेयर पर आ गए। लेकिन जावेद खुद भले ही व्हीलचेयर पर आ गये, लेकिन जिंदगी को उड़ान भरने से कभी नहीं रोका।

Javed Abidi

जाहिर है कि जिंदगी बदल गई। लेकिन, जज्बा बरकरार रहा। अलीगढ़ से कम्युनिकेशन में डिग्री लेने के लिए वे अमेरिका की वाइटयूनिवर्सिटी चले गए। चार साल बाद वापस लौटे1989 में। घरवाले और दोस्त जावेद के फैसले से खफा थे। सबकी इच्छा थी कि जावेदअमेरिका में रहे क्योंकि वहां पर विकलांगों के लिए बेहतर सुविधाएं हैं। लेकिन, जावेद को तो तो वतन लौटने की जिद्द थी।

नौकरी देने के लिए कोई तैयार नहीं था

जावेद उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं, मेरा इरादा था कि चंदेक बरस तक पत्रकारिता करूंगा और फिर स्वतंत्र लेखन। संपादकों से मिलना शुरू हुआ। सब मेरी प्रतिभा से प्रभावित तो होने लगे पर नौकरी देने के लिए कोई तैयार नहीं थे। सब कहते थे कि मैं व्हीलचेयर पर चलते हुए कैसे अपनी एसाइनमेंट कर पाऊंगा। मेरे लाख समझाने के बाद भी मुझे एक बार काम करने का तो मौका दे दो, मुझे किसी ने नौकरी नहीं दी। हां, स्वतंत्र लेखन करता रहा।

जावेद बताते हैं, मैंने विकलांगों को लेकर समाज के बेहद खराब नजरिए को देखा, भोगा और महसूस किया। जिसके बाद मैंने विकलांगों से जुड़े मसलों पर ही अपना फोकस रखा। आज जावेद आबिदी आज नेशनल सेंटर फॉर प्रोमोशन ऑफ इंप्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपुल (एनसीपीईडीपी) इंडिया के डायरेक्टर हैं। आप ने डिसेबिलिटी राइट्स ग्रुप की नींव भी डाली।

सुमित मेहता, साफ्टवेयर इंजीनियर

अपनी विकलांगता को अपनी सफलता के रास्ते में नहीं आने दिया। सुमित मेहता अपने करियर और क्लायंट को लेकर बहुत सीरियस रहते हैं। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर सुमित भारतीय शास्त्रिय संगीत में भी गहरी दिलचस्पी लेते हैं। यहां तक तो सब ठीक है। पर वे जन्म से एक गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं।

ऐसी बीमारी जिसमें इंसान की मांसपेशियां खासी कमजोर हो जाती हैं। सांस लेने और कुछ खाने में भी कठिनाई होती है। हालत यह होती है कि इंसान का खड़ा होना और चलना मुश्किल होता है। इसमें मांसपेशियों के समूह विकसित नहीं हो पाते। पर उन्होंने विकलांगता को अपने करियर के रास्ते में बाधा भी नहीं बनने दिया। वे प्रोगेमिंग और सॉफ्टवेयर विकसित करने को जुनून की हद तक समर्पित हैं।

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English summary
On the occasion of World disability Day we must salute NCPEDP director Javed Ali. He is the person who is fighting for the rights of disables.
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