Autism Awareness day: प्यार ही इस रोग का पहला और आखिरी इलाज है....
नई दिल्ली। साल 2012 में अनुराग बसु की सुपरहिट फिल्म 'बर्फी' में लोग प्रियंका चोपड़ा की एक्टिंग को देखकर दंग रह गए थे। फिल्म में प्रियंका ने झिलमिल नाम की ऐसी लड़की का किरदार निभाया था, जिसे कि 'आटिज्म' रोग था। उस मासूम सी झिलमिल का शरीर तो बड़ा हो गया था लेकिन उसक मन अभी भी बचपन वाला ही था, वो मासूम थी, कोमल थी और तमाम चालाकी से दूर थी। उस करेक्टर में प्रियंका ने जान फूंक दी थी और इसी के चलते देश के काफी लोगों को पहली बार 'आटिज्म' बीमारी के बारे में पता चला था।
विश्व 'आटिज्म' जागरूकता दिवस
आज विश्व 'आटिज्म' जागरूकता दिवस दिवस है, इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। आपको बता दें कि 'आटिज्म' की वजह से बच्चे का मानसिक विकास रूक जाता है। इसके लक्षण जन्म से लेकर तीन वर्ष की आयु तक दिखने लगते हैं लेकिन आज भी काफी घरों में इस रोग के बारे में लोगों को पता नहीं है।
न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर
'ऑटिज्म' एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है, इसे 'ऑटिस्टिक स्पैक्ट्रम डिसॉर्डर' कहा जाता है। अभी इस बीमारी के होने के स्पष्ट कारणों का पता नहीं चल पाया है। हालांकि अनुशोधों के अनुसार ऑटिज़्म होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे
- मस्तिष्क की गतिविधियों में असामान्यता होना
- मस्तिष्क के रसायनों में असामान्यता
- जन्म से पहले बच्चे का विकास सही रूप से न हो पाना आदि।
वर्ष 2007 में यूएन महासभा ने लिया फैसला
आपको बता दें कि वर्ष 2007 में 2 अप्रैल में यूएन महासभा में 'विश्व आटिज्म जागरूकता दिवस' मनाने का फैसला किया गया था। नीला रंग ऑटिज्म का प्रतीक माना गया है। जिसके जरिए लोगों को समझाने की कोशिश की जा रही है कि अगर आपके घर में ऐसा कोई बच्चा है तो उसे शर्म का कारण ना बनने दें बल्कि उसकी पूरी सहायता करें, प्रेम के साथ क्योंकि इस रोग का इलाज प्यार ही है, जिसके जरिए आप अपने बच्चों को जिंदगी से लड़ने योग्य बना सकते हैं।
लक्षण
- सामान्य बच्चे मां का चेहरा देखते हैं व उसके हाव-भाव को समझने की कोशिश करतें है परन्तु ऑटिज़्म से ग्रसित बच्चे किसी से नज़र मिलाने से कतराते हैं।
- सामान्य बच्चे आवाजें सुनने से खुश हो जाते हैं परन्तु ऑटिस्टिक बच्चे आवाजों पर ध्यान नहीं देते।
- ऑटिस्टिक बच्चे बोलने से कुछ समय बाद अचानक ही बोलना बंद कर देते हैं तथा अजीब आवाजें निकालते हैं,
- सामान्य बच्चे मां के दूर होने पर या अनजाने लोगों से मिलने पर परेशान हो जाते हैं परन्तु औटिस्टिक बच्चे किसी के भी आने या जाने से परेशान नहीं होते हैं।
- ऑटिस्टिक बच्चे या तो बहुत चंचल या बहुत सुस्त रहते हैं।
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