World AIDS Day: गले लगाने या चूमने से नहीं फैलता है एड्स और ना ही HIV पीड़ित हैं Characterless
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नई दिल्ली। विश्व एड्स दिवस, 1988 के बाद से 1 दिसंबर को हर साल मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस महामारी के प्रति लोगों की जागरूकता बढाना है। एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हजारों कोशिशें की जा रही हैं लेकिन आज भी ये शब्द इतना भयानक है जिसका नाम लेते ही अंतरात्मा कांप जाती है। एड्स को लेकर आज भी काफी भ्रांतियां लोगों के दिमाग में पली हुई हैं, अगर किसी लड़के या लड़की को ये रोग हो जाए तो लोग बस उसे चरित्रहीन का प्रमाणपत्र दे देते हैं और परिवार, समाज सब जगह से उसे बहिष्कृत कर देते हैं जिसके चलते एड्स रोगी मौत से पहले ही मौत से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हो जाता है, ये एक विडंबना है, जिससे लोग कब उबरेंगे, ये कह पाना अभी काफी मुश्किल है, जबकि सच्चाई ये है कि छूने, चूमने या गले लगाने से एड्स नहीं फैलता, इससे तो केवल प्यार फैलता है।
AIDS को लेकर बहुत सारे भ्रम
फिलहाल इस रोग का इलाज खोजने के लिए लगातार कोशिशें जारी हैं, रिसर्च हो रहे हैं, इन्हीं शोधों के दौरान कुछ वक्त पहले कहा गया था कि नाइलाज बीमारी में रोगियों की मदद केला कर सकता है, क्योंकि खाने में बेहद आसान यह फल जहां लोगो की शक्ति का कारण है वहीं इसमें पाया जाने वाला रसायन जानलेवा बीमारी एड्स से निपटने भी मददगार हो सकता है।
एचआईवी संक्रमण के खिलाफ केले का प्रयोग
हालांकि कुछ लोग इस बात से इत्तफाक नहीं रखते हैं लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक केला खाने से किसी रोगी को कभी कोई परेशानी नहीं होती है, अब ये खास तौर पर एचआईवी पीड़ितों के लिए मददगार साबित हो सकता है, ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है। एचआईवी संक्रमण के खिलाफ केले का प्रयोग साल 2012 में मिशिगन विश्वविद्यालय के एक शोध दल ने भी कहा था कि केले में मौजूद प्रोटीन एचआईवी दवाओं की तरह ही प्रभावी हैं। इसका इस्तेमाल एचआईवी संक्रमण के खिलाफ किया जा सकता है।
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एचआईवी का टीका
तो वहीं अभी हाल ही हुए एक अमेरिकी शोध में कहा गया कि गाय की मदद से एचआईवी का टीका बनाया जा सकता है। एचआईवी से निपटने के लिए वैक्सीन बनाने में गाय मददगार हो सकती है। उनका मानना है कि ये मवेशी लगातार ऐसे एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करते हैं, जिनके जरिए एचआईवी का न सिर्फ इलाज किया जा सकता बल्कि उसे जड़ से खत्म भी कर सकता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ
उनका मत है कि कॉप्लेक्स और बैक्टीरिया युक्त पाचन तंत्र की वजह से गायों में प्रतिरक्षा की क्षमता ज्यादा अच्छी और प्रभावशाली होती है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ ने इस जानकारी को बहुत ही कारगार माना है। शोध के मुताबिक ये वैक्सीन उन रोगी को बचा पाने में सफल होगा जो कि इस गंभीर बीमारी की पहली स्टेज पर हैं। फिलहाल पूरे विश्व में इस रोग को समाप्त करने की कोशिशें जारी हैं।
क्या है एड्स?
एड्स स्वयं कोई बीमारी नही है पर एड्स से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है, एड्स एक महामारी है। एड्स के संक्रमण के तीन मुख्य कारण हैं - असुरक्षित यौन संबंधो, रक्त के आदान-प्रदान और मां से शिशु में संक्रमण द्वारा। माना जाता है कि सबसे पहले इस रोग का विषाणु: एच.आई.वी, अफ्रीका के खास प्राजाति की बंदर में पाया गया और वहीं से ये पूरी दुनिया में फैला।
भारत
में
एड्स
से
प्रभावित
लोगों
की
बढ़ती
संख्या
के
कारण
- आम जनता को एड्स के विषय में सही जानकारी न होना
- एड्स तथा यौन रोगों के विषयों को कलंकित समझा जाना
- शिक्षा में यौन शिक्षण व जागरूकता बढ़ाने वाले पाठ्यक्रम का अभाव
- कई धार्मिक संगठनों का गर्भ निरोधक् के प्रयोग को अनुचित ठहराना
एड्स
से
कैसे
बचें
- अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहें।
- एक से अधिक व्यक्ति से यौनसंबंध ना रखें।
- यौन संबंध के समय कंडोम का सदैव प्रयोग करें।
- यदि आप एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित हैं तो रक्तदान कभी ना करें।
- रक्त ग्रहण करने से पहले रक्त का एच.आई.वी परीक्षण कराने पर ज़ोर दें।
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