आखिर क्यों सूर्योदय से पहले दी जाती है फांसी, जानिए वजह
आज हम आपको इसके पीछे की असली बता रहे हैं कि आखिर क्यों फांसी हमेशा सूर्योदय से पहले दी जाती है।
नई दिल्ली। मृत्युदंड, फांसी, सजा-ए-मौत किसी भी अपराधी को तब दी जाती है जब उसका अपराध इतना घृणित हो कि मृत्यु के अलावा कोई दूसरा विकल्प ही न बचे। मौत की सजा सुनाना किसी जज के लिए भी आसान नहीं होता है। इसलिए तो किसी भी अपराधी को फांसी की सजा देने के बाद जज अपनी कलम तोड़ देते हैं। जिस अपराधी को मृत्युदंड दिया जाता है उसे फांसी देने से पहले कुछ नियमों का पालन किया जाता है। फांसी हमेशा सूर्योदय से पहले दी जाती है। आपने क्या कभी इससे पीछे की वजह जानने की कोशिश की है, अगर नहीं तो आज हम आपको इसके पीछे की असली बता रहे हैं कि आखिर क्यों फांसी हमेशा सूर्योदय से पहले दी जाती है।
नौतिक कारण
नौतिकता कहती है कि जिसे मौत की सजा सुनाई गई और और उसे पता है कि आज उसकी जिंदगी का आखिरी दिन है ऐसे में उसे मौत के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करवाना चाहिए। जिस अपराधी को सजा-ए-मौत दी गई है उसे फांसी देने के लिए दिन भर का इंतज़ार नहीं करना चाहिए। इसलिए अपराधी को सूर्योदय से पहले नित्य क्रिया से निवृत कराकर फांसी दी जाती है। फांसी का वक्त जज तय करते है और और कई अधिकारियों की मौजूदगी में उसे फांसी दी जाती है।
सामाजिक कारण
फांसी को सूर्योदय से पहले देने का एक कारण इसका समाज पर पड़ने वाला बुरा असर भी है। किसी अपराधी को फांसी देना, जिसने कि ऐसा घृषित काम किया है कि उसे मौत से नीचे कोई और सजा दी ही नहीं जा सकती है, ऐसे अपराधी को फांसी मिलना बड़ी खबर होती है। इसका समाज में गलत प्रभाव न हो इसको ध्यान में रखकर सूर्योदय से पहले फांसी दे दी जाती है।
प्रशासनिक वजह
फांसी देने से पहले कई नियमों का पालन करना होता है। जैसे की मेडिकल टेस्ट, रजिस्टर एंट्री, उसकी आखिरी इच्छा जैसी तमाम प्रक्रियाएं होती है। वहीं फांसी के बाद शव को परिजनों को सौंपने से पहले भी कई कई प्रक्रियाओं को पालन करना पड़ता है। ऐसे में इस प्रक्रियाओं में काफी वक्त लगता है. इसलिए भी सूर्योदय से पहले ही फांसी दे दी जाती है।