'मिसाइलमैन' और युवाओं के आदर्श गुरु कलाम के परिवारवाले क्यों हैं सरकार से दुखी?
रामेश्वरम। 27 जुलाई 2015 को जब देश के 'मिसाइलमैन,' पूर्व राष्ट्रपति और युवाओं के आदर्श डॉक्टर अब्दुल कलाम का निधन हुआ तो देश के कई लोगों के साथ राजनेता भी दुखी हो गए।
हर कोई आगे आकर डॉक्टर कलाम के साथ हुए अपने अनुभवों को साझा करने लगा। लेकिन पांच माह बाद जब आप तमिलनाडु के रामेश्वरम में उनकी कब्र की हालत देखेंगे तो सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि कहीं वे सभी लोग झूठ तो नहीं बोल रहे थे।
पढ़ें-राजनीतिक ड्रामे के बाद भी पूरा किया डॉक्टर कलाम ने सपना
पांच माह के बाद भी डॉक्टर कलाम की याद में यहां पर कोई मेमोरियल नहीं बन सका है और ये सारी बातें उनके परिवारवालों को कभी हताश और निराश कर रही हैं। पेई कारुम्बू, जहां पर गुरु कलाम का अंतिम संस्कार किया गया था आज भी उनकी याद में एक मेमोरियल की बाट जोह रहा है।
यहां पर आसपास आवारा कुत्तों और गायों का मेला लगा रहता है और गंदगी ही गंदगी नजर आती है। न सिर्फ इतना बल्कि जो लोग बाहर से इस जगह को देखने आते हैं वे भी अक्सर कब्र के करीब तक जाकर फोटोग्राफ लेने लगते हैं। बैरीकेडिंग के बावजूद इन पर्यटकों के लिए वहां तक पहुंचना काफी आसान है।
डॉक्टर कलाम के परिवार वालों का इस पर कहना है कि वह सरकार की ओर से उपेक्षित महसूस करते हैं। 99 वर्षीय एपीजेएम माराईकायार, जो डॉक्टर कलाम के बड़े भाई हैं, कहते हैं कि यह सरकार की इच्छा थी कि उन्हें पेई कुरुम्बू में दफनाया जाए।
हमने सरकार की बात मान ली क्योंकि यहां पर बहुत से लोग उन्हें भगवान की तरह मानते थे। अगर सरकार यह नहीं कहती तो परिवार वाले रामेश्वरम के अबिल काबिल दरगाह में दफनाते जिस जगह की व्यवस्था परिवार के हाथ में है।
आगे की स्लाइड्स में देखिए डॉक्टर कलाम की कब्र की हालत और पढ़िए सरकार के रवैये से उनके परिवार वाले कितने निराश हैं।
झूठे वादों से दुखी परिवार
माराईकायार ने कहा कि उनके भाई के निधन के बाद राजनेता वादे करके चले गए और फिर सब लोग उन वादों को थोड़े दिनों के बाद भूल गए। माराईकायार इस रवैये से काफी निराश हैं। उनका कहना है कि इस उम्र में वह सरकारी आफिसों के चक्कर नहीं लगा सकते हैं।
अगर सरकार से नहीं हो सकता है तो बता दे
इसके साथ ही वह यह भी कहते हैं कि अगर सरकार कब्र वाली जगह पर उनके नाम पर मेमोरियलद नहीं बना सकती है तो फिर रामेश्वरम के लोगों और पूरी दुनिया में फैले डॉक्टर कलाम के छात्रों की मदद से परिवार वाले यहां पर मेमोरियल बनवा लेंगे।
24 घंटे रहती है पुलिस तैनात
डॉक्टर कलाम के परिवार वालों का कहना है पुलिस ने उनकी मदद की, वे उसे कभी नहीं भूल सकते हैं। उन्होंने बताया कि कैसे पुलिस ने कब्र के व्यवस्था रखी है और एक शेल्टर का भी इंतजाम किया है। कुछ कांस्टेबल भी आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में 24 घंटे तैनात रहते हैं। परिवार वालों के मुताबिक इस स्थान की सफाई का काम पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है।
बरकरार रहे सम्मान
उन्हें जानकारी दी गई है कि आने वाले तीन दिनों के अंदर इस जगह को साफ कर दिया जाएगा। वह मानते हैं कि इस जगह को देखने के लिए कई लोग आते-जाते रहते हैं इसलिए इसकी साफ-सफाई काफी अहम है। साथ ही इसका सम्मान भी बरकरार रहना चाहिए।
छुट्टी वाले दिन रहती है खूब भीड़
रामेश्वरम के डिप्टी सुपरीटेंडेंट ऑफ पुलिस (डीएसपी) बी मुत्तुरामलिंगम ने बताया कि पुलिस के पास सिर्फ इस जगह की सुरक्षा की व्यवस्था का ही काम है। लेकिन वह इस जगह के रख-रखाव का जिम्मा नहीं ले सकते हैं क्योंकि व्यवस्था का जिम्मा यहां की पंचायत के पास है। शनिवार, रविवार और त्योहार के दिन पर यहां आने वाले लोगों की भीड़ में काफी इजाफा हो जाता है।
केंद्र सरकार पर डाली जिम्मेदारी
एआईएडीएमके के रामेश्वरम से सांसद ए अनवर राजा से जब इस बाबत सवाल किया गया तो उनका जवाब था कि राज्य सरकार ने कम समय में अपना काम पूरा कर दिया है। उन्होंने बताया कि मेमोरियल के लिए उन्होंने 1.5 एकड़ की जमीन एलॉट कर दी है। साथ ही उनकी नेता जयललिता ने भी डॉक्टर कलाम के सम्मान के लिया कई तरह की पहल की हैं।
केंद्र सरकार कर रही है देरी
अब यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस काम को आगे बढ़ाए। वह इस बात पर श्रेय लेने से भी पीछे नहीं हटे कि उन्होंने पिछले हफ्ते ही इस मुद्दे को संसद के जीरो ऑवर में उठाया था।
हो चुका है जगह का सर्वे
कलेक्टर के नंतकुमार रामानाथपुरम की मानें तो सरकार के निर्देश के बाद मेमोरियल के लिए 1.5 एकड़ की जमीन एलॉट कर दी गई है। उन्होंने बताया कि चेन्नई से डीआरडीओ के अधिकारियों ने भी इस जगह का दौरा किया है। सीपीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने भी इस जगह का सर्वे किया है। अब केंद्र सरकार के हाथों में ही सारा मामला है।