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जानिए कहावत ....कहां राजा भोज,कहां गंगू.... में कौन है 'तेली'?

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नई दिल्ली। नंबे के दशक की लोकप्रिय फिल्म 'दूल्हे राजा' का बड़ा ही मशहूर गीत है 'छछूंदर के सिर पर ना भाए चमेली, कहां राजा भोज कहां गंगू तेली', इस गीत में कहां राजा भोज कहां गंगू तेली... कहावत का प्रयोग किया गया है, ये केवल इस गाने में ही नहीं बल्कि अक्सर लोग तंज कसने के लिए इस कहावत का जिक्र करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि कहां राजा भोज... कहावत में 'तेली' है कौन और क्या है इसका मतलब, अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं उस 'तेली' का राज लेकिन उनके बारे में जानने से पहले आपको राजा भोज के बारे में जानना जरूरी है।

कौन थे राजा भोज?

कौन थे राजा भोज?

राजा भोजराज 11 वीं सदी में मालवा और मध्य भारत के प्रतापी राजा थे, इतिहास के पन्नों में इनकी वीरता और ज्ञान के कई किस्से दर्ज हैं, राजा भोज को शस्त्रों का महाज्ञाता कहा जाता था, उनको वास्तुशास्त्र, व्याकरण, आयुर्वेद और धर्म-वेदों का प्रचुर ज्ञान था, उन्होंने इन विषयों पर कई किताबें और ग्रंथ भी लिखे हैं, राजा भोज ने अपने शासनकाल के दौरान कई मंदिरों और इमारतों का निर्माण करवाया था, वो जनता के प्रिय शासकों में से एक रहे हैं।

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गंगू-तेली का इतिहास काफी रोचक है...

गंगू-तेली का इतिहास काफी रोचक है...

अब बात करते हैं 'गंगू-तेली' की, इतिहासकारों की इनके बारे में अलग-अलग राय है, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गंगू और तेली दो लोग थे जो कि दक्षिण भारत के राजा थे, गंगू का पूरा नाम कलचुरि नरेश गांगेय था, जबकि तेली का पूरा नाम चालुक्य नरेश तैलंग था, ये दोनों अपने आप को काफी बहादुर और बुद्धिमान समझते थे इसलिए इन्होंने राजा भोज के राज्य पर आक्रमण कर दिया था।

राजा भोज ने अपनी छोटी सी सेना से दोनों को हरा दिया

इनके पास काफी सेना थी, जिससे मुकाबला करने के लिए राजा भोज अपनी सेना की एक छोटी सी टुकड़ी लेकर पहुंचे थे और उन्होंने दोनों को धूल चटा दी थी, जिसके बाद लोगों ने तंज कसते हुए ये कहावत बना दी लेकिन पहले लोग कहते थे 'कहां राजा भोज और कहां गांगेय-तैलंग' लेकिन बाद में नाम बिगाड़ते-बिगाड़ते 'कहां राजा भोज और कहां गंगू-तेली' चलन में बन गया।

'गंगू तेली' ने दी थी अपनी बीवी-बेटे की कुर्बानी

'गंगू तेली' ने दी थी अपनी बीवी-बेटे की कुर्बानी

जबकि दूसरी कहानी के अनुसार राजा भोज का महाराष्ट्र में एक किला था, जिसे कि पनहाला कहते थे, लेकिन इस किले की दीवार बार-बार गिरती रहती थी, तब इसके उपाय के लिए ज्योतिषीयों ने राजा भोज को कहा कि अगर किसी नवजात बच्चे और उसकी मां की बलि इस जगह पर दे दी जाए तो दीवार गिरना बंद हो जाएगी, जिसके बाद 'गंगू तेली' (तेल बेचने वाले) नाम के शख्स ने इसके लिए अपनी पत्नी और बच्चे की कुर्बानी दी थी लेकिन बाद में उसको अपने इस काम पर घमंड हो गया और लोग उसे घमंडी कहते हुए और तंज कसते थे कि 'कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली', जिसने कि बाद में कहावत का रूप धारण कर लिया।

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English summary
Gangu Teli is a historical or apocryphal figure from the era of the Parmara dynasty of central India, a commoner belonging to the Teli caste.
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