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जानिए 26 जनवरी के बाद होने वाली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का महत्‍व

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस से शुरू होने वाला समारोह का समापन 29 जनवरी को समापन बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के साथ होता है। बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का असली नाम 'वॉच सेटिंग' है।

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नई दिल्‍ली। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर झांकी में दुनिया ने भारतीय गणतंत्र की ताकत देखी। गणतंत्र दिवस का यह समारोह 26 जनवरी को समाप्‍त नहीं हुआ और 29 जनवरी को इस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के साथ होगा।

26 जनवरी के तीन दिन बाद समारोह

बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी, आप सभी अपने स्‍कूल के दिनों से ही 26 जनवरी के तीन दिन बाद इस समारोह को देखते आ रहे होंगे। तीनों सेनाओं के बैंड और अर्धसैनिक बल बीएसएफ के जवानों की मौजूदगी में होने वाला यह समारोह भी देश और गणतंत्र दिवस समारोह के लिए काफी अहमियत रखता है। इस सेरेमनी के साथ ही 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के समारोह का औपचारिक समापन होता है। आइए आज आपको इस बीटिंग रिट्रीट समारोह से जुड़े कुछ खास तथ्‍यों के बारे में बताते हैं। आगे की स्‍लाइड्स पर‍ क्लिक करिए और जानिए इस सेरेमनी से जुड़ी खास बातें।

इंग्‍लैंड से आई परंपरा

इंग्‍लैंड से आई परंपरा

बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का असली नाम 'वॉच सेटिंग' है और सूरज डूबने के समय यह समारोह होता है। 18 जून 1690 में इंग्‍लैंड के राजा जेम्‍स टू ने अपनी सेनाओं को उनके ट्रूप्‍स के वापस आने पर ड्रम बजाने का आदेश दिया था। सन 1694 में विलियम थर्ड ने रेजीमेंट के कैप्‍टन को ट्रूप्‍स के वापस आने पर गलियों में ड्रम बजाकर उनका स्‍वागत करने का नया आदेश जारी किया था।

देशों की सेनाएं करती हैं परफॉर्म

देशों की सेनाएं करती हैं परफॉर्म

आजकल कॉमनवेल्‍थ देशों की सेनाएं इस समारोह को परंपरा के तौर पर निभाती हैं। इस समारोह को कुछ लोग नए बैंड मेंबर्स के लिए उनका कौशल साबित करने वाला टेस्‍ट मानते हैं तो कुछ इसे कठिन ड्रिल्‍स के अभ्‍यास का तरीका भी मानते हैं।

गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

हर वर्ष 29 जनवरी को राजधानी दिल्‍ली के विजय चौक पर इस सेरेमनी को इंडियन आर्मी, इंडियन नेवी और इंडियन एयरफोर्स के बैंड्स की ओर से परफॉर्म किया जाता है। राष्‍ट्रपति भवन के नॉर्थ और साउथ ब्‍लॉक पर बैंड्स की परफॉर्मेंस होती है और राजपथ की ओर इसका अंत होगा।

राष्‍ट्रीय गान का महत्‍व

राष्‍ट्रीय गान का महत्‍व

इस समारोह के मुख्‍य अतिथि राष्‍ट्रपति होते हैं जो प्रेसीडेंट्स बॉडीगार्ड्स के सुरक्षा घेरे में यहां पर आते हैं। राष्‍ट्रपति के आने के बाद प्रेसीडेंट्स बॉडीगार्ड्स के कमांडर की ओर से राष्‍ट्रपति को नेशनल सैल्‍यूट दिया जाता है। इसके साथ ही तिरंगा फहराया जाता और राष्‍ट्रीय गान होता है।

वर्ष 1950 और बीटिंग रिट्रीट का आगाज

वर्ष 1950 और बीटिंग रिट्रीट का आगाज

भारत में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत सन 1950 से हुई। उस समय भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने इस सेरेमनी को सेनाओं के बैंड्स के डिस्‍प्‍ले के साथ पूरा किया। इस डिस्‍प्‍ले में मिलिट्री बैंड्स, पाइप्‍स और ड्रम बैंड्स, बगर्ल्‍स और ट्रंपेटर्स के साथ आर्मी की विभिन्‍न रेजीमेंट्स और नेवी और एयरफोर्स के बैंड्स भी शामिल थे।

कदम-कदम बढ़ाए जा सबसे आगे

कदम-कदम बढ़ाए जा सबसे आगे

इस सेरेमनी की शुरुआत तीनों सेनाओं के बैंड्स के मार्च के साथ होती है और इस दौरान वह 'कर्नल बोगे मार्च', 'संस ऑफ द ब्रेव' और 'कदम-कदम बढ़ाए जा' जैसी धुनों को बजाते हैं। सेरेमनी के दौरान इंडियन आर्मी का बैंड पारंपरिक स्‍कॉटिश धुनों और भारतीय धुनों जैसे 'गुरखा ब्रिगेड,' नीर की 'सागर सम्राट' और 'चांदनी' जैसी धुनों को बजाती है। आखिर में आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के बैंड्स एकसाथ परफॉर्म करते हैं।

एशियन गेम्‍स में हुई ऐसी सेरेमनी

एशियन गेम्‍स में हुई ऐसी सेरेमनी

इसी तरह की सेरेमनी को वर्ष 1982 में देश में संपन्‍न हुए एशियन गेम्‍स के दौरान परफॉर्म किया गया था। इंडियन आर्मी के रिटायर्ड म्‍यूजिक डायरेक्‍टर स्‍वर्गीय हैराल्‍ड जोसेफ, इंडियन नेवी के जेरोमा रॉड्रिग्‍स और इंडियन एयरफोर्स के एमएस नीर को इस सेरेमनी का श्रेय दिया जाता है।

रोज का नियम

रोज का नियम

भारत और पाकिस्‍तान के अमृतसर स्थित वाघा बॉर्डर पर इस सेरेमनी की शुरुआत वर्ष 1959 में की गई थी। सेरेमनी को रोजाना सूरज ढलने से कुछ घंटे पहले परफॉर्म किया जाता है। वाघा बॉर्डर पर होने वाली इस सेरेमनी में बीएसएफ और पाकिस्‍तान रेंजर्स के जवान हिस्‍सा लेते हैं।

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English summary
What is Beating Retreat ceremony and what importance it holds for India.
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