इतिहास के पन्नों से-रमजान पर रौनक जामा मस्जिद की
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) रमजान के महीने में अगर आप दिल्ली में हैं तो आपको जामा मस्जिद जाने का मौका नहीं छोड़ना चाहिए। इधर की रौनक के क्या कहने। इधर आपको रूहानियत मिलेगी।
सारे माहौल में एक अजीब से आनंद और मस्ती को आप महसूस कर सकेंगे। जब रोजा खुलने का वक्त होता है तो आपको जामा मस्जिद पर बैठकर वहां के मंजर को देखना चाहिए। उस माहौल को शब्दों में बयां करना कठिन है।
लीजिए खजूर
जैसे ही रोजा खुलने का वक्त होता है तो आपके पास तमाम लोग आ जाते हैं खजूर से लेकर तमाम दूसरे फल देने के लिए। सब कहते हैं, लीजिए। मना मत कीजिए। ये दिल्ली वालों के अंदाज है।
इतिहास के पन्नों से- रमजान और संसद मार्ग मस्जिद
बुलंद मस्जिद
दरअसल दिल्ली की जामा मस्जिद को एक दौर में देश की सबसे बुलंद मस्जिद माना जाता था क्षेत्रफल के लिहाज से। पर बाद के दौर में दूसरी कई मस्जिदें इससे बड़ी बनती गई। पर इसके तारीखी महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता।
किसने बनवाया
इसे मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था। ये बनकर तैयार हुई थी 1656 में। लाल पत्थरों से बनी है जामा मस्जिद। इसके बरामदे में 25 लोग नमाज अदा कर सकते हैं। ईद वाले दिन तो मस्जिद के बाहर भी हजारों लोग जमा होते हैं। अफसोस कि इस मस्जिद पर साल 2006 तथा 2010 में हमला भी हुआ। दोनों बार कई लोग घायल भी हुए। इस मस्जिद में तीन गेट हैं।
बापू आए
जानकार कहते हैं कि इसका आर्किटेक्चर आगरा की जामा मस्जिद और लाहौर की बादशाही मस्जिद से मिलता-जुलता है। जामा मस्जिद में आकर गांधी जी ने भी एक बार मुसलमानों से संवाद किया था। 6 नवंबर,2004 को पाकिस्तान के महान टेस्ट फ्लेयर इमरान खान इधर आए थे। उनके साथ तब इस लेखक को भी इधर आकर रोजा खोलने का सुअवसर मिला था।
इमरान खान के इधर आते ही उन्हें सैकड़ों लोगों ने घेर लिया था। तब इमरान खान ने कहा था कि उन्हें इससे पहले इतना प्यार कभी नहीं मिला। उन्होंने ये भी कहा था कि उन्होंने हैरानी हो रहा है कि भारत सरकार इतनी भव्य मस्जिद को मेनटेन करती है।