क्या आप जानते हैं देश की 7 सिस्टर्स के बारे में, जो हैं बेपनाह खूबसूरत..
आंचल श्रीवास्तव
आजकल 7 सिस्टर्स के बारे में बड़ा हो हल्ला हो रहा है लेकिन हम में से आधी से अधिक जनता ये नहीं जानती की ये सेवेन सिस्टर्स क्या बला है?
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क्या है सेवेन सिस्टर्स?
सेवन सिस्टर्स पूर्वोत्तर भारत के सात आपस में सटे हुए राज्य हैं देश का सात प्रतिशत हिस्सा बनाते है। ये राज्य हैं अरुणाचल प्रदेश; असम; मेघालय; मणिपुर; मिज़ोरम; नागालैंड और त्रिपुरा| हालंकि इन राज्यों के संस्कृति और सम्पदा एक दुसरे से बिलकुल अलग हैं लेकिन राजनैतिक; समाजिक और आर्थिक तौर पर ये सभी एक ही प्रकार के हैं।
क्या है इन राज्यों की राजधानियां
- अरुणाचल प्रदेश - ईटानगर
- असम - दिसपुर
- मणिपुर - इम्फाल
- मेघालय - शिलोंग
- मिज़ोरम - ऐजवाल
- नागालैंड - कोहिमा
- त्रिपुरा - अगरतला
क्या कहता है इतिहास
1947 में जब भारत ब्रिटिश राज्य से मुक्त हुआ तो देश के पूर्वोत्तर में तीन ही बड़े राज्य थे- मणिपुर; त्रिपुरा और असम जिसकी राजधानी शिलोंग थी जो अब मेघालय की राजधानी है। बाद में इन्ही राज्यों से 4 राज्य और बने। 1963 में नागालैंड उसके बाद1972 में मेघालय ; उसी वर्ष 1972 में मिज़ोरम यूनियन टेरिटरी बना और अंत में 1987 में अरुणाचल प्रदेश को प्रदेश का दर्जा मिला। इन राज्यों में बोडो; निशि; गारो; नागा और भूटिया के अलावा भी कई जन जातियां है।
जाना जाता है प्राकृतिक सम्पदा के लिए
नार्थ ईस्ट के ये सात राज्य पूरी दुनिया में अपनी प्राकृतिक सम्पदा के लिए मशहूर हैं। प्राकृतिक संपदा तथा सांस्कृतिक वैभव का जैसा असीम भंडार यहॉं बिखरा पड़ा है, वैसा देश में ही नहीं, शायद पूरी दुनिया में अन्यत्र दुर्लभ है| यहॉं विभिन्न कुलों की अनगिनत भाषाएँ, अनगिनत लोग तथा अनगिनत संस्कृतियॉं ऐसा बहुरंगी रचना रचती हैं कि देखने समझने वाला मोहित रह जाता है।
220 से अधिक नस्लों के लोग निवास करते हैं
इस छोटे से क्षेत्र में 220 से अधिक नस्लों के लोग निवास करते हैं, और जितनी नस्ल, उतनी भाषाएँ और उतनी ही संस्कृतियां। प्रकृति ने तो मानो अपना पूरा खजाना ही यहॉं बिखेर दिया हो। अकेले इस क्षेत्र में ५१ प्रकार के वन और असंख्य प्रकार की पादप जातियॉं हैं।
पुराणों में भी है वर्णन
इस क्षेत्र का प्राचीन इतिहास रामायण एवं महाभारत काल से जुड़ा है। महाभारत व रामायण में इस क्षेत्र के दो नाम मिलते हैं- प्राग्ज्योतिषपुर और कामरूप। प्राग्ज्योतिषपुर नरेश नरकासुर की कहानियॉं पुराणों में अति प्रसिद्ध हैं| इस असुर नरेश को कृष्ण ने युद्ध में मारा था और उसकी कैद से 16100 राज कन्याओं को मुक्त कराया था। इस नरेश के बेटे भगदत्त ने महाभारत युद्ध में कौरवों के पक्ष में युद्ध किया था।
ऐतिहासिक साम्राज्य 'कामरूप' के नाम से जाना जाता है
असम का पहला ऐतिहासिक साम्राज्य 'कामरूप' के नाम से जाना जाता है। यह साम्राज्य ईसवी सन् 350 से लेकर 1940 तक करीब 800 वर्षों तक कायम रहा, जिसके दौरान तीन राजवंशों ने शासन किया|
आज भी है कामरूप यहाँ पर
10वीं शताब्दी में रचित माने जाने वाले कालिकापुराण में कामरूप की पूर्वी सीमा पर ताम्रेश्वजरी देवी के मंदिर का जिक्र किया गया है। 12वीं शताब्दी के बाद इस साम्राज्य का तो अंत हो गया, लेकिन कामरूप राज्य बना रहा। 15वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में इस राज्य पर हमला करने वाले अलाउद्दीन हुसैन शाह के सिक्के पर 'कामरू' या 'कामरूद' नाम अंकित है| आज भी इस नाम का जिला (कामरूप) यहॉं विद्यमान है।