Triple Talaq Bill: जानिए क्या होता है अध्यादेश, मोदी सरकार ने क्यों उठाया ये कदम?
नई दिल्ली। आज केंद्र की मोदी सरकार ने तीन तलाक के मुद्दे पर अहम कदम उठाया है, बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उसने इसके अध्यादेश को मंजूरी दे दी। केन्द्र सरकार के इस फैसले के बाद विपक्ष ने सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़ा कर दिया है और उसने आरोप लगाया है कि सरकार इस मु्द्दे पर राजनीति कर रही है, जबकि उसे मुस्लिम महिलाओं के दर्द से कोई लेना-देना नहीं है। फिलहाल आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है लेकिन यहां ये समझना होगा कि आखिर अध्यादेश होता क्या है और मोदी सरकार के इस फैसले की अहमियत क्या है।
तीन तलाक अध्यादेश को मोदी सरकार ने दी मंजूरी
दरअसल जब किसी कानून को सरकार आपात स्थिति में पास कराना चाहती है लेकिन उसके पास अन्य दलों का समर्थन उच्च सदन में प्राप्त नहीं हो रहा है तो सरकार अध्यादेश के रास्ते इस पास कराने की कोशिश करती है, जिसकी अनुमति भारतीय संविधान उसे देता है। यहां आपको बता दें कि अध्यादेश की अवधि सीमित वक्त के लिए होती है।
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भारतीय संविधान ने दी है अध्यादेश जारी करने की शक्ति
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत देश के राष्ट्रपति को संसद के सत्रावसान की अवधि में अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गई है और इन अध्यादेशों का प्रभाव और शक्तियां संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के बराबर ही होती हैं परंतु ये अल्पकालिक होती हैं।
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आपातकालीन स्थिति के लिए बनाया गया था अध्यादेश का रास्ता
कोई भी अध्यादेश सदन के अगले सत्र के अंत के बाद छह हफ्तों तक बना रहता है। जिस भी विधेयक पर अध्यादेश लाया गया हो, उसे संसद के अगले सत्र में वोटिंग के जरिए पारित करवाना होता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो राष्ट्रपति इसे दोबारा भी जारी कर सकते हैं। अध्यादेश का रास्ता ये सोचकर बनाया गया था कि किसी आपातकालीन स्थिति में जरूरी विधेयक पारित किए जा सकें।
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