जीवन-दर्शन: 1 गिलास दूध ने बदल दिया इंसान का नजरिया
नई दिल्ली। एक गरीब लड़का घर-घर जाकर सामान बेचा करता था, जिससे वो अपनी स्कूल की फीस दे सके। एक दिन वो जब काम पर निकला तो उसे बहुत भूख लग गई लेकिन उसके पास खाने को कुछ नहीं था, उसने अपनी पोटली खंगाली पर उसे कुछ मिला नहीं, उसकी भूख बढ़ती ही जा रही थी, इसलिए उसने तय किया कि इस बार वो जब किसी घर में सामान बेचने जाएगा तो घर के मालिक से पैसे लेने के बजाय कुछ खाने की चीज मांगेगा लेकिन उससे ये हो नहीं पाया।
इंसानियत के दर्शन
लड़के की भूख-प्यास बढ़ती ही जा रही थी, जिसके कारण उसे थकान भी महसूस होने लगी थी इसलिए उसने सोचा कि इस बार वो जिस घर में जाएगा वहां सबसे पहले पानी मांगेगा और जैसे ही उसने अगले घर का दरवाजा खटखटाया, एक औरत बाहर आई, वो लड़के की हालत देखकर ही सबकुछ समझ गई और लड़के के बिना कुछ कहे ही उसके लिए एक गिलास दूध लेकर आई, लड़का ये देखकर हैरान रह गया। दूध पीने के बाद लड़के ने पूछा की, मैम आपको इसके लिए मुझे कितने पैसे देने होंगे?"
गरीब लड़का डॉक्टर बन गया
लेकिन उस औरत ने मुस्कुराते हुए कहा की एक पैसा भी नहीं, किसी की भूख शांत करने के पैसे नहीं होते हैं। लड़के का दिल भर आया और उसे उस दिन इंसानियत का परिचय हुआ। इस बात को बहुत साल बीत गए, गरीब लड़का मेधावी था और अपनी मेहनत से डॉक्टर बन चुका था।
ये वही महिला थी जिसने उसकी मदद की थी
एक दिन उसके अस्पताल में एक औरत को लाया गया, जिसकी हालत काफी गंभीर थी। जब डॉक्टर को पता चला की ये औरत उसके पुराने शहर की है, तो वो उसे देखने तुरंत गया, डॉक्टर ने जब उसे देखा तो वो उसे पहचान गया, ये वही महिला थी जिसने उसकी मदद की थी, और एक ग्लास दूध भी पिलाया था।
बिल का भुगतान
डॉक्टर ने पूरी लगन से उस महिला को भी ठीक कर दिया। उस महिला का काफी ख्याल रखा गया। अंत में जब एक दिन वो पूरी तरह से ठीक हो गयी तो उन्हें छुट्टी दे दी गई लेकिन अब उस महिला को सबसे ज्यादा डर इस बात से लग रहा था की उसके इलाज का खर्चा बहुत आएगा क्योंकि उसके पास पैसे नहीं थे। लेकिन बिल देखते ही उसकी आंखों में आंसू आ गए क्योंकि बिल पर लिखा था कि फीस का भुगतान बहुत पहले ही कर दिया गया था, एक ग्लास दूध से। उसने इसके लिए भगवान् का दिल से शुक्रिया अदा किया औऱ डॉक्टर को दिल से दुआएं दी क्योंकि आज उसे भी इंसानियत के दर्शन हो चुके थे।
ज्ञान
ये कहानी हमें बताती है कि हमें भी अपने जीवन में लालच किये बिना दयावान बनकर, परोपकार करना चाहिये और लोगों की मदद करनी चाहिये वो भी बिना स्वार्थ के, इसका फल आपको कब किस रूप में प्राप्त होगा, आपको पता ही नहीं चलेगा।