Must Read: जानिए 15 सबसे खतरनाक वायरस के बारे में
दोस्तों अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि इबोला वायरस सबसे बड़ा वायरस है, लेकिन क्या आप जानते हैं यह एक अकेला ही खतरनाक वायरस नहीं है, और न ही एचआईवी ही अकेला खतरनाक है बल्कि ऐसे कई और भी वायरस हैं जो बेहद ही खतरनाक है। आइये बताते हैं आपको इन अन्य वायरसों के बारे में।
जानिए अपने शरीर के बारे में 40 रोचक तथ्य
1. मारबर्ग वायरस
मारबर्ग एक बहुत ही खतरनाक वायरस है. इसका नाम लाह्न नदी के किनारे बसे सुखद शहर के नाम पर पड़ा है। मारबर्ग वायरस एक रक्तस्रावी बुखार वायरस हैजैसा की इबोला में होता है, वैसे ही मारबर्ग वायरस में ऐंठन होती है और श्लेष्मा झिल्ली, त्वचा और अंगों से रक्तस्राव होता है। इसकी मृत्यु दर 90 फीसदी है।
2. इबोला वायरस
इबोला वायरस के 5 प्रकार है जिनमें से प्रत्येक का नाम अफ्रीका के देशों और शहरों के नाम पर पड़ा है: जायरे, सूडान, ताई वन, बुंडाइबिग्यो और रेस्टन। जायरे इबोला वायरस जानलेवा होता है जिसमें मृत्यु दर 90 फीसदी होती है। यह एक नस्ल है जो गिनी, सिएरा लियोन और लाइबेरिया आदि के माध्यम से फैल रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि शहर में जायरे इबोला वायरस संभवत: फ्लाइंग फोक्सेस के कारण आया।
3. हंटावायरस
हंटावायरस को मुख्य वायरस के रूप में शामिल किया जाता है। इसका नाम एक नदी के नाम पर पड़ा जहां 1950 में कोरियाई युद्ध के समय अमेरिकी सैनिक पहली बार हंटावायरस से संक्रमित हुए। लक्षणों में फेफड़ों के रोग, बुखार और गुर्दे की विफलता शामिल हैं।
वायरस के बारे में और पढ़ने के लिए नीचे की स्लाइडों पर क्लिक कीजिये..
बर्ड फ्लू
बर्ड फ्लू एक बहुत ही खतरनाक वायरस है जिसमें 70 फीसदी जान जाने का खतरा होता है। लेकिन H5N1 के संपर्क में आने का खतरा कम ही होता है। आप केवल पोल्ट्री के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से ही संक्रमित हो सकते हैं। यह कहा जाता है कि एशिया में लोग अक्सर चिकन के संपर्क में रहते हैं इसलिए यहां बर्ड फ्लू के मामले अधिक होते हैं।
लस्सा वायरस
नाइज़ीरिया में सर्वप्रथम एक नर्स लस्सा वायरस से संक्रमित हुई। यह वायरस कृन्तकों के द्वारा फैलता है। इसके मामले स्थानिक हो सकते हैं- जैसे कि पश्चिमी अफ्रीका और यह यहां कभी भी हो सकता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अफ्रीका में लगभग 15 फीसदी कृन्तक वायरस है।
जनीन वायरस
जनीन वायरस अर्जेंटीना रक्तस्रावी बुखार के साथ जुड़ा हुआ है। इस वायरस से संक्रमित लोगों के ऊतकों में सूजन, सेप्सिस और त्वचा से खून बहता है। इसके लक्षण स्पष्ट है इसलिए इसकी पहचान आरम्भ में ही आसानी से हो जाती है।
क्रीमिया-कांगो वायरस
क्रीमिया-कांगो बुखार वायरस टिक टिक्द्वारा फैलाता है। यह इबोला और मारबर्ग वायरस जैसा ही होता है। संक्रमण के पहले दिन मरीज के चेहरे, मुंह और ग्रसनी से रक्तस्राव होता है।
मचुपो वायरस
मचुपो वायरस बोलीविया रक्तस्रावी बुखार से जुड़ा होता है इसे ‘काला सन्निपात'के नाम से भी जाता है। इस वायरस से अत्यधिक बुखार और बहुत ही अधिक रक्तस्राव होता है। यह जनीन वायरस के जैसा ही होता है। यह वायरस व्यक्ति से व्यक्ति में फैलता है और यह कृतन्कों में अक्सर पाया जाता है।
क्यास्नोर फोरेस्ट वायरस
वैज्ञानिकों ने क्यास्नोर फोरेस्ट वायरस(KFD) को 1955 में भारत के पश्चिमी तट पर वुडलैंड्स पर ढुंढा। यह टिक द्वारा फैलता है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है यह कैसे फैलाता यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है। माना जाता है कि चुहे, पक्षी और सुअर इसके वाहक हो सकते हैं। जो लोग इससे संक्रमित होते हैं वे उच्च बुखार, तेज सिरदर्द और मांसपेशियों के दर्द से ग्रस्त हो सकते हैं जिससे रक्तस्राव भी हो सकता है।
डेंगु
डेंगु बुखार अब भी एक चुनौती है। अगर आप उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में घुमने की योजना बना रहे हैं तो आपको डेंगु के बारे में बेहतर तरीके से जान लेना चाहिए। यह मच्छर द्वारा फैलता है। डेंगु लगभग 50 से 100 मिलियन लोगों को प्रतिवर्ष प्रभावित करता है जो खासकर भारत और थाइलैंड घुमने आते हैं।
रेबीज़
यद्यपि पालतु जानवरों के लिए रेबीज़ के टीके हैं, जो कि 1920 में आए उसने इसके खतरे को कम कर दिया लेकिन भारत और अफ्रीका में अब भी स्थितियाँ सुधरी नहीं हैं। यह दिमाग को विनष्ट कर देता है, यह वास्तव में एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है। अगर उचित समय पर इसका उपचार न कराया जाए तो मृत्यु कि शत प्रतिशत आशंका होती है।
HIV
HIV एक बहुत। यह अब भी एक जानलेवा वायरस है। अनुमानत: 1980 में जब यह वायरस पहचान में आया तब से 36 मिलियन लोग इसका शिकार हो चुके हैं। यह मानव की जान लेने वाला सबसे बड़ा वायारस है।
चेचक
1980 में विश्व स्वास्थ्य सभा ने विश्व को चेचक से मुक्तघोषित किया था। लेकिन इससे पहले हजारों साल तक मनुष्य ने चेचक से संघर्ष किया, इस बीमारी से 3 में 1 व्यक्ति का मृत्यु निश्चित थी।इससे चेहरे पर निशान रह ही जाते थे और अंधेपन का भी खतरा रहता था। 20 वीं शताब्दी तक भी इसने लगभग 300 मिलियन लोगों को अपना शिकार बनाया।
इंफ्लुएंजा
WHO के अनुसार फ्लू के मौसम में , 500,000 तक लोग पूरे विश्व में बीमारी से अपनी जान खो देते हैं। लेकिन जब कोई नया फ्लू अस्थित्व में आता है, तो रोग महमारी की तरह फैलता है और अक्सर मृत्यु दर भी बढ़ जाया करती है। सबसे घातक फ्लू बीमारी बीमारी जिसे कभी-कभी स्पेनिश फ्लू भी कहते हैं 1918 में शुरु हुई और इसने पूरे विश्व में 40 फीसदी लोगों को अपनी चपेट में ले लिया, और लगभग 50 मिलियन लोगों ने इससे अपनी जान गवां दी।
रोटावायरस
टीकों के कारण, विकसित देशों में बच्चे रोटावायरस की चपेट में मुश्किल से ही आते हैं लेकिन विकासशील देशों में यह बीमारी एक आंतक की तरह है, जहां रीहाइड्रेशन का उपचार व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है। WHO ने अनुमान लगाया है कि विश्वस्त्र पर 5 वर्ष से ज्यादा उम्र के 453,000 बच्चों ने सन् 2008 में रोटावायरस से अपनी जान खो दी।
मेडिकल सेवा से जुड़े रोचक तथ्य
मेडिकल सेवा से जुड़े रोचक तथ्य