इतिहास के पन्नों से- मुंबई का महालक्ष्मी यहुदी कब्रिस्तान
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला)मुंबई की आपाधापी से भरी जिंदगी में कुछ इस तरह की जगहें अभी बची हैं, जहां पर सन्नाटा पसरा रहता है। जहां पर जाकर लगता है कि जिंदगी की रफ्तार थम सी गई है। जहां के सारे वातावरण को महसूस करने पर अहसास होता कि किस बात की इंसान जल्दी कर रहा है? क्यों भागदौड़ में फंसा है?
महालक्ष्मी ज्यूइश सेमेटरी
हम बात कर रहे हैं मुंबई के महालक्ष्मी ज्यूइश सेमेटरी की। जैसा कि इसके नाम से ही साफ है कि ये मुंबई के यहुदियों का कब्रिस्तान है। इधर 1927 से दफनाए जा रहे हैं शहर के यहुदी। यानी करीब 90 साल से।
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डेविड भी यहुदी थे
इधर ही दफन हैं अंग्रेजी के नामवर लेखक और कवि निजिम एजिकल और दूसरे कई यहुदी। मुंबई में लगभग एक हजार यहूदी रहते हैं। मशहूर चरित्र अभिनेता डेविड भी यहुदी थे। महाराष्ट्र के सभी यहुदी मराठी बोलते हैं।
महाराष्ट्र के यहुदी
महाराष्ट्र के पुणे शहर में काफी यहुदी रहते हैं। देश में सर्वाधिक यहुदी आबादी महाराष्ट्र में ही है। करीब तीन हजार तो होगी। हां, इनकी कुळ आबादी 7 हजार के आसपास होगी। बहरहाल, यहां की कब्रों के ऊपर मराठी,गुजराती, हिब्रू और अंगेजी भाषाओं में उस इंसान का संक्षिप्त परिचय लिखा गया है,जो अब संसार से जा चुका है। इधर लगभग दो हजारें कब्रें हैं। सब संगमरमर के पत्थर से बनी हैं।
आते हैं यहुदी
इधर लगातार देश से बाहर जाकर बस गए यहुदी अपने प्रियजनों की कब्रों पर आते हैं। वे कुछ देर ठहरने के बाद चले जाते हैं। महालक्ष्मी कब्रिस्तान परिसर में लंबे-चौड़े पेड़ लगे हुए। इधर खासी सफाई रहती है। मुंबई की यहुदी बिरादरी इसकी देखरेख करती हैं। इजराईल और दूसरे कुछ देशों जैसे अमेरिका या कनाड़ा से संबंध रखने वाले यहुदी टुरिस्ट भी इधर आते हैं इसे देखने के लिए।
भारत के यहुदी
देश के प्रमुख यहुदी आइजेक मलेकर कहते हैं कि भारत में रहने वाले हरेक यहूदी के लिए इजराइल का खास स्थान है। पर भारत हमारे खून में है। भारत के यहुदियों के लिए भारत से अच्छा कुछ नहीं है।