#PeriyarStatue: कौन थे पेरियार, जिनकी मूर्ति तोड़ने पर तमिलनाडु में मचा है बवाल?
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चेन्नई। त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति तोड़ने पर मचा बवाल जहां थमने का नाम नहीं ले रहा है वहीं दूसरी ओर एक और खबर ने लोगों के अंदर गुस्सा पैदा कर दिया है। खबर है कि तमिलनाडु में भी बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पेरियार की मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया है, जिसके बाद राज्य में तनाव पैदा हो गया है, क्योंकि एक दिन पहले ही बीजेपी के कार्यकर्ताओं की ओर से धमकी दी गई थी कि लेनिन के बाद अब पेरियार का नंबर है और आज खबर आई कि पेरियार की मूर्ति पर हमला बोला गया है।
चलिए विस्तार से जानते हैं कि आखिर पेरियार है कौन, जिनकी मूर्ति तोड़ने पर मचा है हंगामा...
इरोड वेंकट नायकर रामासामी
इरोड वेंकट नायकर रामासामी को पेरियार के नाम से जाना जाता है। ये तमिलनाडु के लोकप्रिय नेताओं में से एक रहे हैं, इनका जन्म 17 सितम्बर 1879 को पश्चिमी तमिलनाडु के इरोड में एक सम्पन्न, परम्परावादी हिन्दू परिवार में हुआ था।
दलितों के शोषण के पूर्ण विरोधी थे रामासामी
रामासामी बाल विवाह, देवदासी प्रथा, विधवा पुनर्विवाह के विरुद्ध अवधारणा, स्त्रियों तथा दलितों के शोषण के पूर्ण विरोधी थे। उन्होंने हिन्दू वर्ण व्यवस्था का भी बहिष्कार किया था। चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के कहने पर 1919 में उन्होने कांग्रेस की सदस्यता ली। इसके कुछ दिनों के भीतर ही वे तमिलनाडु इकाई के प्रमुख भी बन गए।
दलितों के सम्मान और अधिकारों के लिए काम किया
इन्होंने हमेशा से ही दलितों के सम्मान और अधिकारों के लिए काम किया, इन्होंने कांग्रेस के नेताओं के समक्ष दलितों और पीड़ितों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव भी रखा, जिसे मंजूरी नहीं मिल सकी। जिसके बाद इन्होंने कांग्रेस ही छोड़ दी।
पेरियार आंदोलन
दलितों के समर्थन में 1925 में उन्होने पेरियार आंदोलन भी चलाया। यह आंदोलन नास्तिकता (या तर्कवाद) के प्रसार के लिए जाना जाता है। इसके बाद उन्होंने द्रविड़ कड़गम नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई थी। इसकी विभिन्न शाखाओं और डीएमके जैसी द्रविड़ियन पार्टियों के सदस्यों ने खुले तौर पर नास्तिकता का प्रसार और उसे स्वीकार किया। हालांकि, समय बीतने के साथ ही इसके कुछ मानने वालों ने धर्म और धार्मिक रीतियों का पालन शुरू कर दिया, जिसके खिलाफ पेरियार ने जीवन भर संघर्ष किया था।
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