Swami Vivekanand : चरित्र को कपड़ों से नहीं बल्कि विचारों से पहचानो: स्वामी विवेकानंद
नई दिल्ली। स्वामी विवेकानंद का नाम लेते ही सिर श्रद्धा से झुक जाता है, नई सोच और जो कहो वो कर दिखाने का जज्बा रखने वाले विवेकानंद एक अभूतपूर्व मानव थे। अगर आज उनके बताए गए रास्तों पर हमारे देश के युवागण चले तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा देश वैसा ही बन जाएगा जैसा बनाने का सपना बापू ने देखा था। यूं तो स्वामी जी के बहुत सारे किस्से इंसानों की आंखों को खोल देते हैं लेकिन एक वाकया ऐसा है जिसने देशी ही नहीं बल्कि विदेशियों के भी सिर झुक गया।
महान व्यक्तित्व का निर्माण कैसे होता है
ऐसा ही एक किस्सा हम आज आपको बताते हैं..बात 1939 की है, जब स्वामी विवेकानंद के एक विदेशी मित्र ने उनके गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस से मिलने का आग्रह किया और कहा कि वह उस महान व्यक्ति से मिलना चाहता है जिसने आप जैसे महान व्यक्तित्व का निर्माण किया है।
आपका गुरू ये व्यक्ति कैसे हो सकता है?
यह बात सुनकर स्वामी जी अपने मित्र को अपने गुरू के पास ले गये। लेकिन जब उनके मित्र ने उनके गुरू को देखा तो एकदम हैरान रह गये और अपने आप पर नियंत्रण ना रख पाये और तुंरत उन्होंने कहा कि अरे आपका गुरू ये व्यक्ति कैसे हो सकता है जिन्हें कपड़े पहनने तक का सलीका नहीं है।
देश में चरित्र का निर्माण आचार-विचार करते हैं
जिस पर स्वामी विवेकानंद ने बिना गुस्साये विनम्रत पूर्वक मुस्कुरा कर कहा कि मित्र यही तो फर्क है आपकी और मेरी सोच में क्योंकि आप किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का आकंलन उसके कपड़े से करते हैं यानी कि आपके देश में चरित्र का निर्माण एक दर्जी करता है लेकिन हमारे देश में चरित्र का निर्माण आचार-विचार करते है।
सारे जीव स्वयं परमात्मा के अवतार
स्वामी विवेकानन्द ने हमेशा कहा कि सारे जीव स्वयं परमात्मा के अवतार हैं इसलिए हर व्यक्ति की सेवा करनी चाहिए। विवेकानंद के संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार किया था। भारत में, विवेकानंद को एक देशभक्त संत के रूप में माना जाता है। इसलिए पूरा देश उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाता है।
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