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सुषमा स्‍वराज: जानिए कैसे संकट में पड़े भारतीयों के लिए विदेश मंत्री बनीं 'संकटमोचक'

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नई दिल्‍ली। विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज आज अपना 68वां जन्‍मदिन मना रही हैं। सुषमा भारतीय राजनीति का वह चेहरा हैं जिसे कई पीढ़‍ियों ने देखा है। साल 2018 में उन्‍होंने जब ऐलान किया कि वह अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी तो कई फैंस निराश हो गए। सुषमा की लो‍कप्रियता भारत से अलग सात समंदर पार तक है। कई देशों के राजनेता और राजनयिकों से लेकर वह एनआरआईज के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं। सुषमा को मोदी सरकार की एक ऐसे मंत्री के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा जिन्‍होंने कभी भी मुश्किलों में फंसे भारतीयों की मदद करने से कदम पीछे नहीं खींचे। चाहे वह शादी से ऐन पहले पासपोर्ट खोने का मामला हो या फिर यमन में फंसे हजारों भारतीयों की जिंदगी का सवाल हो, उन्‍होंने हर मौके पर मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया। जानें सिर्फ एक ट्वीट पर मदद के लिए आगे आने वाली सुषमा ने कैसे हमेशा भारतीयों की मदद की है।

पद संभालते ही सबसे बड़ी चुनौती

पद संभालते ही सबसे बड़ी चुनौती

14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला में जन्‍म लेने वाली सुषमा राजनीति में आने से पहले सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट थीं। साल 2014 में जब बीजेपी केंद्र की सत्‍ता में आई तो सुषमा को विदेश मंत्रालय सौंपा गया। मई में सरकार ने अपना जिम्‍मा संभाला और जून में आतंकी संगठन आईएसआईएस ने इराक पर कब्‍जा कर लिया। इसके साथ ही जुलाई में सुषमा के लिए पहला चैलेंज सामने आया जब 50 से ज्‍यादा भारतीय नर्सें इराक के शहर मोसुल में फंस गई थीं। सुषमा ने सभी नर्सों की सुरक्षित रिहाई कराई और अपना पहला मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया।

यमन से 5500 लोगों को निकाला सुरक्षित

यमन से 5500 लोगों को निकाला सुरक्षित

इसके एक वर्ष बाद यानी अप्रैल 2015 में यमन में सऊदी सेनाओं और हाउथी विद्रोहियों के बीच जंग छिड़ गई। इस जंग के साथ ही 4640 भारतीय यमन में फंस गए और इसके अलावा कुछ विदेशी भी संकट में आ गए। जंग लगातार बढ़ती जा रही थी और सऊदी अरब की सेना लगातार यमन में बम गिरा रही थी। यमन में बसे भारतीयों ने विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज से मदद मांगी और सुषमा ने फौरन एक्‍शन लिया। विदेश राज्‍य मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह को यमन भेजा गया। भारत ने ऑपरेशन राहत लॉन्‍च किया और करीब 5500 लोगों को सुरक्षित निकाला। इस ऑपरेशन में भारत ने यमन में फंसे 41 देशों के नागरिकों को भी बचाया जिसमें से कुछ पाकिस्‍तान के भी थे।

सूडान और लीबिया से बचाया भारतीयों को

सूडान और लीबिया से बचाया भारतीयों को

इसके बाद साल 2016 में साउथ सूडान में सिविल वॉर शुरू हुआ और एक बार फिर कुछ भारतीय यहां पर फंस गए। इन सभी भारतीयों को सुरक्षित देश वापस लाने के लिए ऑपरेशन संकटमोचन शुरू किया गया। इस ऑपरेशन के तहत दक्षिण सूडान में फंसे 150 से ज्‍यादा भारतीयों को बाहर निकाला गया जिसमें से 56 लोग केरल के थे। इसी तरह से लीबिया में सरकार और विद्रोहियों के बीच छिड़ी जंग में भी कई भारतीय वहां फंस गए। एक बार फिर सुषमा के सामने बड़ी चुनौती आई और उन्‍होंने इसका सामना किया। लीबिया से 29 भारतीयों को सुरक्षित भारत लाया गया। हालांकि इस दौरान एक भारतीय नर्स और उसके बेटे की मौत हो गई।

पाक में दशकों से फंसे भारतीय लौटे देश

पाक में दशकों से फंसे भारतीय लौटे देश

यह सुषमा की कोशिशों का ही नतीजा था कि 15 वर्ष पहले भटककर पाकिस्‍तान पहुंची गीता को भारत लाया जा सका। गीता, भारत आने के बाद सबसे पहले विदेशमंत्री सुषमा स्‍वराज से मिली। इसी तरह से सुषमा ने पिछले छह वर्षों से पाकिस्‍तान की जेल में बंद मुंबई के इंजीनियर हामिद अंसारी की पेशावर की सेंट्रल जेल से रिहाई हो सके, उसके लिए कोशिशें। हामिद को पिछले वर्ष दिसंबर में देश वापस भेजा गया है। कोलकाता की जूडिथ डिसूजा केस में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। जूडिथ को नौ जून 2016 को अफगानिस्‍तान की राजधानी काबुल से अगवा कर लिया गया था। सुषमा स्‍वराज की कोशिशों के बाद अफगान अधिकारियों ने जूडिथ की रिहाई सुनिश्‍चित करवाई। जूडिथ नवंबर 2016 में सुरक्षित अपने देश पहुंचीं।

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English summary
How Sushma Swaraj always helped Indian stuck in crisis and various parts of the world.
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