Supermoon: पूरी दुनिया में लोगों ने ऐसे किया चांद का दीदार, अब 17 साल बाद आएगा नजर
रविवार की रात दुनिया ने एक ऐसे चांद का दीदार किया जो साल में कभी-कभार ही दिखाई देता है। 3 दिसंबर की रात आसमान में मून नहीं, बल्कि सुपरमून था। रात में इस खूबसूरत सुनहरे चांद का नजारा हर किसी ने अपनी आंखों में कैद किया। ये नासा द्वारा बताये गए 3 सुरपमून का पहला चांद था।
नई दिल्ली। रविवार की रात दुनिया ने एक ऐसे चांद का दीदार किया जो साल में कभी-कभार ही दिखाई देता है। 3 दिसंबर की रात आसमान में मून नहीं, बल्कि सुपरमून था। रात में इस खूबसूरत सुनहरे चांद का नजारा हर किसी ने अपनी आंखों में कैद किया। ये नासा द्वारा बताये गए 3 सुरपमून का पहला चांद था।
क्या होता है सुपरमून?
सुपरमून तब कहा जाता है जब चांद धरती के सबसे करीब होता है। रोजाना के दिनों में चांद का आकार काफी छोटा दिखता है और वो उतना चमकीला भी नहीं दिखता। वहीं सुपरमून के दिन चांद काफी बड़ा दिखाई देता है। इस दिन चांद रोजाना के मुकाबले 14 फीसदी बड़ा होता है, वहीं 30 फीसदी अधिक चमकीला दिखाई देता है।
कहां से आया सुपरमून शब्द?
सुपरमून शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल ज्योतिषी रिचर्ड नोल ने साल 1979 में किया था। जब चांद धरती की कक्षा के सबसे नजदीक हुआ तो उसे सुपरमून कहा गया। नोल ने ये भी दावा किया था कि सुपरमून के वक्त चांद भूभौतिकीय तनाव का कारण बनता है।
अब 17 साल बाद आएगा नजर!
इस बार का सुपरमून काफी खास था क्योंकि कहा जा रहा है कि ऐसा चांद अब साल 2034 में नजर आएगा। नासा द्वारा बताई गई 3 सुपरमून की सीरीज में अगला सुपरमून 1 जनवरी और 31 जनवरी, 2018 को दिखाई देगा।
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