निर्भय के सफल लांच के साथ देश को मिला दिवाली की असली तोहफा
बालासोर। [डॉक्टर अनंत कृष्णन एम ] शुक्रवार का दिन भारतीय रक्षा और अनुसंधान क्षेत्र के लिए एतिहासिक पल लेकर आया जब देश में बनी सब-सोनिक क्रूज मिसाइल निर्भय का सफल टेस्ट हुआ। परमाणु सक्षम यह मिसाइल ने अपने लांच के साथ ही देश के रक्षा वैज्ञानिकों को खुद पर गर्व महसूस करने का एक पल दिया।
शुक्रवार का वह एतिहासिक लम्हा
ओडिशा के बालासोर स्थित चांदीपुर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से लांच हुई निर्भय मिसाइल ने 10 में से 10 नंबर हासिल किए हैं।
यह मिसाइल आईटीआर के कॉम्प्लेक्स 3 से सुबह 10:05 मिनट पर लांच हुई और इसने सफलतापूर्वक करीब एक घंटे के अंदर 11 :02 मिनट पर अपने लांच मिशन का लक्ष्य हासिल कर लिया।
सेना के सूत्रों की ओर से वनइंडिया को पुष्टि की गई कि यह मिसाइल पांच मीटर की न्यूनतम ऊंचाई में उड़ान भरने में सक्षम है साथ ही साथ पांच किमी तक की अधिकतम ऊंचाई को भी हासिल कर सकती है।
निर्भय मिसाइल भारतीय सेनाओं को गहरी मारक क्षमताओं से लैस करती है और इस मिसाइल को जमीन, वॉरशिप और यहां तक कि पनडुब्बी से भी लांच किया जा सकता है।
मिसाइल को बैंगलोर स्थित एरोनॉटिकल डेवलपमेंट (एडीई) की ओर से विकसित किया गया है। एडीई को इस प्रोजेक्ट में डीआरडीओ के करीब एक दर्जन वैज्ञानिकों का भी सहयोग मिला है।
लक्ष्य
भेदने
में
सक्षम
निर्भय
शुक्रवार को निर्भय ने अपने लांच के दौरान करीब 1050 किमी का सफर तय किया और इसने 5 -6 मीटर की एक्यूरेसी के साथ अपने लक्ष्य को भेदा। एक्यूरेसी को सीईपी यानी सर्कुलर एरर प्रॉबेबल के नाम से भी जाना जाता है।
सूत्रों की मानें तो निर्भय 1-2 मीटर की एक्यूरेसी के साथ अपने लक्ष्य को भेदने की ताकत रखती है। हैदराबाद स्थित डीआरडीओ लैब रिसर्च सेंटर आईएमआरएटी, आरसीआई को भी इसके डेवलपमेंट में शामिल किया गया है। आरसीआई ने निर्भय की सफलता में एक अहम रोल अदा किया है।
आरसीआई की ओर से इसके लिए नेविगेशन सिस्टम, कंट्रोल एक्यूएशन सिस्टम और इसके लिए बैटरी मुहैया कराई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस मिसाइल को सभी 17 बिंदुओं से नेविगेट किया गया। इंडियन एयरफोर्स के जगुआर फाइटर जेट से इसका वीडियो शूट किया गया।
इस सफलता से उत्साहित डीआरडीओ प्रमुख अविनाश चंदर ने कहा कि अभी निर्भय के और भी वैरिएंट्स बाकी हैं। उन्होंने बताया कि मार्च 2013 में निर्भय का पहला टेस्ट फेल होने के बाद इसका दूसरा टेस्ट काफी अहम था क्योंकि सभी आलोचकों को सिर्फ इसका सफल टेस्ट ही तगड़ा जवाब दे सकता था।
वैज्ञानिकों के लिए महान दिन
डीआरडीओ प्रमुख अविनाश चंदर ने इसके सफल लांच पर उत्साहित होते हुए कहा, 'मिशन सक्सेसफुल। हमनें कर दिखाया। यह डीआरडीओ और सभी मिसाइल वैज्ञानिकों के लिए एक महान दिन है। अब हम इस बात को लेकर और ज्यादा आत्मविश्वासी हैं कि हम निर्भय के और बेहतर संस्करणों का उत्पादन कर सकते हैं।'
डॉक्टर अविनाश चंदर के मुताबिक निर्भय देश की सेनाओं में नई ताकत और नई क्षमताएं पैदा करेगी।
सफलता से खुश डीआरडीओ प्रमुख ने आगे कहा कि निर्भय हैवी पेलोड को ले जा सकने वाली क्षमता से लैस है और इस मिसाइल ने इसके निर्माताओं में एक नया आत्मविश्वास पैदा किया है।
वनइंडिया के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि अब हम इस मिसाइल को और ज्यादा ताकतों से लैस करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। अभी मिसाइल में टर्मिनल गाइडेंस सिस्टम इंस्टॉल करना है जो इस मिसाइल को और ज्यादा खतरनाक बनाएगी।
इस सिस्टम के बाद यह मिसाइल खास लक्ष्य को भी सफलतापूर्वक और आसानी से भेद सकेगी।
डीआरडीओ की सभी जरूरतों को ध्यान में रखकर उनकी हर जरूरत को पूरी करने वाली इस मिसाइल पर एडीई के योगदान पर डॉक्टर अविनाश चंदर ने कहा कि अगले 10 वर्षों तक एडीई को किसी भी तरह की कोई कमी नहीं होने वाली है।
डॉक्टर अविनाश के मुताबिक एडीई के पास अगले 10 वर्षों तक ढेर सारी परियोजनाएं हैं और जो देश के लिए काफी अहम हैं। डॉक्टर अविनाश चंदर के मुताबिक अगले तीन वर्षों के अंदर निर्भय को इंडियन नेवी में इंडक्ट कर दिया जाएगा।
इसके अगले वर्ष यह इंडियन आर्मी का हिस्सा होगी। एयरफोर्स के लिए इस मिसाइल के संस्करण को तैयार करने में अभी छह वर्ष का समय लगेगा।
रक्षा मंत्री के सामने ब्रीफिंग की तैयारी
डीआरडीओ डीजी जो कि डीआरडीओ की एक वरिष्ट टीम है और जिसका नेतृत्व डीजी एरोनॉटिकल सिस्टम्स, डॉक्टर तामिलमनी कर रहे हैं, शनिवार को रक्षा मंत्री अरुण जेटली को निर्भय के बारे में सारी जानकारियां देंगे।
इस बारे में उन्होंने जानकारी दी और बताया, 'हम रक्षा मंत्री निर्भय ने जो लक्ष्य हासिल किया है, उससे जुड़ी सभी जानकारियां मुहैया कराएंगे। साथ ही उन्हें इस मिशन की सफलता से जुड़े तमाम फायदों को बताएंगे।'
आपको बता दें कि तमिलमनी एडीई से जुड़े वह शख्स हैं जिन्होंने हर दिन निर्भय और उससे जुड़े तमाम पहलुओं को करीब से देखा है। माना जा रहा है कि यह टीम जेटली को इस बारे में भी जानकारी देगी कि निर्भय मिसाइल देश की सेनाओं की किन-किन जरूरतों को पूरा करने की संभावना और क्षमता रखती है।
डॉक्टर तमिलमनी के मुताबिक निर्भय की टीम के लिए पिछले कुछ दिन काफी मुश्किल थे और टीम के हर शख्स पर काफी दबाव था। टीम के हर सदस्य ने सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान रखा और कभी भी अपना ध्यान नहीं भटकने नहीं दिया।
डॉक्टर तमिलमनी ने बताया जब आप किसी जटिल हथियार को विकसित करने के काम से जुड़े होते हैं, तो आपको चुनौतियों को टालना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता।
दिपावली का तोहफा
एडीई के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो निर्भय की सफलता वाकई दिपावली के मौके पर एक खास तोहफा है। एडीई के निदेशक पी श्रीकुमार के मुताबिक हमने जितनी उम्मीद की थी, निर्भय ने उससे कहीं बेहतर परिणाम दिए हैं।
यह वाकई हमारे लिए काफी खास उपलब्धि है। आपको बता दें निर्भय को जिस लैब में डेवलप किया गया है वहां पर ज्यादातर डिजायनर्स युवा हैं।
इस सफलता के बाद अब उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है। एडीई के पूर्व निदेशक डॉक्टर केजी नारायणन की मानें तो लक्ष्य और निशांत जैसे सिस्टमों के बीच निर्भय की सफलता काफी अहम है।
उन्होंने कहा कि उन्हें अभी इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है कि निर्भय में कौन सी तकनीक प्रयोग की गई है लेकिन यह हमारे वैज्ञानिकों के लिए काफी बड़ी उपलब्धि है।
वहीं आरसीआई के निदेशक डॉक्टर जी सतीश रेड्डी जिन्हें डीआरडीओ का 'मिसाइल मैजिशियन' कहा जाता है, उन्होंने निर्भय की सफलता का श्रेय पूरी टीम को दिया है।
उन्होंने कहा कि अब हमारे लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं। उन्होंने इस मौके पर कहा कि यह अहसास खुशी से भी कहीं ज्यादा है और हम संतुष्ट हैं। उन्होंने बताया कि युवा वैज्ञानिकों की टीम ने इस सफलता के लिए खासा इंतजार करना पड़ा।
बैंगलोर के सीवीरमन नगर स्थित एडीई के प्रांगण में इस सफलता का जश्न भी जोरदार तरीके से मनाया गया।