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नए शोध का दावा- अब बिना रिलेशन के पैदा हो जाएंगे बच्चे!

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नई दिल्ली। हेडलाइन पढ़कर आप भी चौंक गए ना कि ऐसा कैसे संभव है, सबको पता है कि ये तो प्रकृति का नियम है कि बिना निषेचन के भ्रूण का निर्माण नहीं होता है। पेड़-पौधों, जानवरों और इंसान सब पर ये नियम लागू होते हैं, ऐसे में बिना मर्द और महिला के संबंध के बच्चे कैसे पैदा हो सकते हैं।

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स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर

स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर

तो इन सारे प्रश्नों का जवाब दिया है स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैंक ग्रीली ने, जिनका दावा है कि अगले 30 सालों में बच्चे पैदा करने के लिए लोगों को रिलेशन बनाने की जरूरत नहीं होगी। आपको बता दें कि हैंक, स्टैन्फर्ड लॉ स्कूल के सेंटर फॉर लॉ ऐंड द बायोसाइंसेज के डायरेक्टर हैं।

डीएनए

डीएनए

उन्होंने अपने दावे में कहा कि आने वाले तीन दशकों में प्रजनन की प्रक्रियामें बहुत बड़ा चेंज होने वाला है। जिसके तहत मां-बाप के पास विकल्प होगा कि वे अपने डीएनए से लैब में तैयार किए गए अलग-अलग तरह के भ्रूण में से अपनी पसंद का कोई भी भ्रूण चुन सकते हैं और अपने बच्चे को जन्म दे सकते हैं।

 क्या है वो प्रक्रिया?

क्या है वो प्रक्रिया?

इस प्रक्रिया के तहत फीमेल स्किन का सैंपल लेकर पहले तो स्टेम सेल बनाया जाता है और फिर इसका इस्तेमाल अंडे को बनाने में होता है। इसके बाद इन अंडों को स्पर्म सेल्स से फर्टिलाइज करवाकर भ्रूण तैयार किया जाता है।

ये प्रक्रिया सस्ती

ये प्रक्रिया सस्ती

आईवीएफ की पद्दति काफी महंगी होती है लेकिन हैंक ने कहा ये प्रक्रिया काफी सस्ती और बिना दर्द वाली होगी इसलिए लोग इसे फॉलो करेंगे। इस प्रक्रिया के जरिए मां-बाप अपने भ्रण को अपनी जैविक बीमारियों से भी बचा सकते हैं, यहां तक कि वे अपने आने वाले बच्चे के आंखों का और बालों का रंग तक चुन सकेंगे।

योग है इन बीमारियों में कारगर, AIIMS ने भी लगाई मुहर

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अक्सर योग को लेकर एक बहस छिड़ी रहती है कि योग गंभीर बीमारियों पर असर नहीं करता है, ये केवल मन का फितूर है लेकिन अब खुश हो जाइए क्योंकि अब डॉक्टरों ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि योगासन और क्रियाएं बीमारियों का निदान कर सकती हैं।

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English summary
Today, Stanford University professor Hank Greely’s assertion that Americans will stop having relation to procreate sounds absurd. But in a couple of decades, he predicts, that will be the accepted reality.
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