जानिए क्या है जुवेनाइल जस्टिस कानून 2014 और उससे जुड़ी बातें
16 दिसंबर निर्भया कांड के किशोर दोषी को तीन साल की सजा के खिलाफ उठते आवाजों को दृष्टि में रखते हुए यह बदलाव किया गया है।
क्या संशोधन किया गया है?
नए
विधेयक
के
तहत
16
वर्ष
से
अधिक
उम्र
के
किशोर
अपराधियों
को
व्यस्क
मानने
का
प्रावधान
है।
विधेयक
के
प्रावधानों
के
मुताबिक,
जघन्य
अपराधों
में
लिप्त
पाए
गए
किशोर
अपराधियों
को
जेल
की
सजा
दी
सकती
है।
हालांकि
उसे
उम्र
कैद
या
फांसी
की
सजा
नहीं
होगी।
जबकि
मौजूदा
कानून
के
तहत
किशोर
की
उम्र
16
की
बजाय
18
वर्ष
की
थी।
यानि
की
अगर
किसी
आरोपी
की
उम्र
18
साल
से
कम
होती
है,
तो
उसका
मुकदमा
अदालत
की
जगह
जुवेनाइल
जस्टिस
बोर्ड
में
चलता
है।
दोषी
पाए
जाने
पर
किशोर
को
अधिकतम
तीन
साल
के
लिए
किशोर
सुधार
गृह
भेजा
जाता
है।
कानून
में
बदलाव
के
बाद
रैंगिग
जैसे
अपराध
में
पाए
जाने
वाले
16
वर्ष
से
ज्यादा
के
दोषी
को
तीन
साल
की
सजा
और
10,000
रुपए
तक
का
जुर्माना
लग
सकता
है।
जुवेनाइल कौन हैं?
18 वर्ष से कम के व्यक्ति को जुवेनाइल की श्रेणी में रखा जाता है। जुवेनाइल जस्टिस कानून, 2000 के धारा 2(k) के अनुसार जुवेनाइल वह व्यक्ति है, जिसने अभी तक 18 वर्ष पूरा न किया हो। नए संशोधन में इसी उम्र को घटाकर 16 वर्ष कर दिया गया है।
मानवाधिकार आयोग कर रहा है आलोचना
मानवाधिकार सक्रितावादी और कुछ विशेषज्ञ इस कानून में हुए बदलाव की आलोचना भी कर रहे हैं। इनका कहना है कि अपराध किसी किशोर की मानसिक परिपक्वता को नहीं दिखाता है। यदि बच्चा गंभीर अपराध करता है तो उसके लिए विपरीत परिस्थितियां दोषी हैं, जिसका वह शिकार बनता है। ऐसे हालात में दंडनात्मक कार्रवाई समस्या का हल नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कानून में बदलाव करना बाल अधिकारों का हनन करना है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
यह विधेयक देश के जुवेनाइल कानून को बदलने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जून में बनाया गया है। अब इसे पास होने के लिए संसद में पेश किया जाएगा। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2012 में 1, 175 जुवेनाइल भारत में बलात्कार के दोषी पाए गए हैं। जबकि, 2011 में यह संख्या 1,149 थी।