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Rajguru's Biography- शिवराम हरि राजगुरु का जीवन परिचय

By Ajay Mohan
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शहीद भगत सिंह का नाम कभी अकेले नहीं लिया जाता, उनके साथ राजगुरु और सुखदेव का नाम भी बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। जी हां शिवराम हरि राजगुरु जो महाराष्ट्र के रहने वाले थे। जिन्होंने भारत माता को गुलामी की जंजीरों में जकड़ने वाले अंग्रेजों के एक पुलिस अधिकारी को मार गिराया था। और भगत सिंह व सुखदेव के साथ ही उन्हें 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी।

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Rajguru freedom fighter

राजगुरु का बचपन

शिवराम हरि राजगुरु का जन्म पुणे के पास खेड़ नामक गांव (वर्तमान में राजगुरु नगर) में हुआ था। बचपन से ही राजगुरु के अंदर जंग-ए-आज़ादी में शामिल होने की ललक थी। वे महाराष्ट्र के देशाथा ब्रह्मण परिवार से थे। उनके परिवार का शांत साधारण जीवन था, लेकिन उनके जीवन में अशांति तब आयी, जब होश संभालते ही उन्होंने अंग्रेजों के जुल्म को अपनी आंखों के सामने होते देखा।

आये दिन अत्याचार की खबरों से गुजरते राजगुरु जब तब किशोरावस्था तक पहुंचे, तब तक उनके अंदर आज़ादी की लड़ाई की ज्वाला फूट चुकी थी। मात्र 16 साल की उम्र में वे हिंदुस्तान रिपब्ल‍िकन आर्मी में शामिल हो गये। उनका और उनके साथ‍ियों का मुख्य मकसद था ब्रिटिश अध‍िकारियों के मन में खौफ पैदा करना। साथ ही वे घूम-घूम कर लोगों को जागरूक करते थे और जंग-ए-आज़ादी के लिये जागृत करते थे।

महात्मा गांधी के विचारों के विपरीत

हां एक बात थी राजगुरु क्रांतिकारी तरीके से हथ‍ियारों के बल पर आजादी हासिल करना चाहते थे, उनके कई विचार महात्मा गांधी के विचारों से मेल नहीं खाते थे।

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19 दिसंबर 1928 को उन्होंने भगत सिंह और सुखदेव के साथ मिलकर ब्रिटिश पुलिस ऑफीसर जेपी सौंडर्स की हत्या की थी। असल में यह वारदात लाला लाजपत राय की मौत का बदला थी, जिनकी मौत साइमन कमीशन का विरोध करते वक्त हुई थी। उसके बाद 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली में सेंट्रल असेम्बली में हमला करने में राजगुरु का बड़ा हाथ था।

राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव का खौफ ब्रिटिश प्रशासन पर इस कदर हावी हो गया था कि इन तीनों को पकड़ने के लिये पुलिस को विशेष अभ‍ियान चलाना पड़ा।

पुणे के रास्ते में हुए गिरफ्तार

पुलिस ऑफीसर की हत्या के बाद राजगुरु नागपुर में जाकर छिप गये। वहां उन्होंने आरएसएस कार्यकर्ता के घर पर शरण ली। वहीं पर उनकी मुलाकात डा. केबी हेडगेवर से हुई, जिनके साथ राजगुरु ने आगे की योजना बनायी। इससे पहले कि वे आगे की योजना पर चलते, पुणे जाते वक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

इन तीनों क्रांतिकारियों के साथ 21 अन्य क्रांतिकारियों पर 1930 में नये कानून के तहत कार्रवाई की गई और 23 मार्च 1931 को एक साथ तीनों को सूली पर लटका दिया गया। तीनों का दाह संस्कार पंजाब के फिरोज़पुर जिले में सतलज नदी के तट पर हुसैनवाला में किया गया।

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English summary
Read short biography of Shivram Hari Rajguru in Hindi. Freedom fighter who was hanged with Bhagat Singh and Sukhdev in 1931.
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