Jim Corbett Biography-आदमखोर बाघों के शिकारी जिम कॉर्बेट
लखनऊ। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम आपने जरूर सुना होगा, लेकिन इस पार्क के पीछे जो सबसे बड़ा नाम है वह है जेम्स एडवर्ट जिम कॉर्बेट का जिन्होंने दर्जनों आदमखोर बाघ और तेंदुओं का शिकार किया था। जिम कॉर्बेट के प्रयासों से ही देश को पहला नेशनल पार्क मिला था।
पहाड़ औऱ जंगल था कॉर्बेट का घर
जिम कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 में नैनीताल में ही हुआ था। उन्हें पर्यावरण रक्षक के रूप में जाना जाता है। उन्हें ब्रिटिश इंडियन ऑर्मी में कर्नल की रैंक प्राप्त थी। जिम का निधन आज के ही दिन 19 अप्रैल 1955 को केन्या में हुआ था। पहाड़ और जंगल में रहने की वजह से वह जानवरों को उनकी आवाज से पहचान लेते थे। उन्हें पर्यावरण और पशु-पक्षियों से काफी लगाव भी था।
Jim Corbett Biography-आदमखोर बाघों के शिकारी जिम कॉर्बेट
कुछ खास थे जिम कॉर्बेट
- जिम कॉर्बेट को फोटोग्राफी का बहुत शौक था।
- इंडो चाइनीज टाइगर को कार्बेट टाइगर के नाम से भी जाना जाता है।
- रिटायर होने के बाद जिम कॉर्बेट ने मैन इटर्स ऑफ कुमायुं नाम की पुस्तक भी लिखी थी।
- 1928 में केसर-ए-हिंद की उपाधि से भी उन्हें नवाजा गया था।
- जिम कॉर्बेट ने शेरों को संरक्षित करने का सुझाव दिया था। जिसके बाद नेशनल पार्क की स्थापना की गयी।
- 1957 में इस नेशनल पार्क का नाम जिम कार्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया ।
बतौर
रेलवे
कर्मचारी
शुरु
किया
था
जीवन
नैनीताल
में
ही
शुरुआती
शिक्षा
फिलैंडर
स्मिथ
कॉलेज
से
की
और
19
वर्ष
की
आयु
में
रेलवे
में
नौकरी
करनी
शुरु
कर
दी।
आदमखोर बाघों औऱ तेंदुओं में था कॉर्बेट का खौफ
जिम कॉर्बेट को तत्कालीन अंग्रेजी सरकार उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में आदमखोर बाघों को मारने के लिए बुलाया जाता था। गढ़वाल और कुमायुं में उस वक्त आदखोर शेरों का आतंक मचा हुआ था जिसे खत्म करने का श्रेय जिम कॉर्बेट को जाता है।
जिस पहले शेर को जिम कॉर्बेट ने मारा था उसने 436 लोगों को हत्या की थी। जिम कार्बेट ने जिस पहले शेर को मौत के घाट उतारा था उसने 1200 लोगों को मारा था।
हालांकि दस्तावेजों में कॉर्बेट के नाम तकरीबन 12 शेर और तेंदुए मारने का बात है, लेकिन वास्तविकता में उन्होंने इससे कहीं ज्यादा आदमखोर शेरों का शिकार किया था।
1910
में
जिस
पहले
तेंदुए
को
जिम
ने
मारा
था
उसने
400
लोगों
को
मौत
के
घाट
उतारा
था।
जबकि
दूसरे
तेंदुए
ने
126
लोगों
को
मौत
के
घाट
उतारा
था,
उसे
जिम
ने
1926
में
रुद्रप्रयाग
में
मारा
था।
बाघों
और
जंगली
जानवरों
से
था
खासा
लगाव
शेरों
का
शिकार
करते-करते
इनसे
प्यार
हो
गया,
कॉर्बेट
ने
कभी
भी
किसी
ऐसे
शेर
को
नहीं
मारा
जिसने
किसी
आदमी
को
नहीं
मारा
हो।
शेरों
से
प्यार
के
चलते
ही
उन्होंने
इनके
लिए
नेशनल
पार्क
बनाने
का
सुझाव
दिया
था।
जिम कॉर्बेट अपनी बहन मैगी कॉर्बेट के साथ गर्नी हाउस में रहते थे। जिसे उन्होंने 1947 में केन्या जाते वक्त कलावती वर्मा को बेच दिया था, जिसे बाद में कॉर्बेट म्युजिम के रूप में स्थापित कर दिया गया है।