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Death Anniversary: शहीद 'उधम सिंह' ने कहा था-मेरी शादी तो मौत से होगी

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नई दिल्ली। महान क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह भारत मां के उस सच्चे सपूत का नाम है, जिसने महज 40 साल की उम्र में, हंसते-हंसते देश के लिए अपने प्राण को न्यौछावर कर दिया था। ये सरदार उधम सिंह ही थे, जिन्होंने फांसी का फंदे को चूमकर कहा था कि मेरी शादी तो मौत से होगी, जो बहादुरी और सच्चाई का जीता-जागता प्रमाण थे।

'बलिदान दिवस'

'बलिदान दिवस'

उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1988 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम में हुआ था, उनके पिता का नाम सरदार तहल सिंह और माता का नाम नारायण कौर था। उधम सिंह को माइकल ओडवायर की हत्या किए जाने के मामले में लंदन की जेल में कैद कर रखा गया था और आज के दिन ही उन्हें फांसी दी गई थी इसलिए आज के दिन को पूरा भारत 'बलिदान दिवस' के रूप में मनाता है।

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माइकल ओ डायर को मौत के घाट उतारा था

माइकल ओ डायर को मौत के घाट उतारा था

दरअसल 3 अप्रैल 1919 को जलियावाला बाग हत्याकांड ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया था। तभी से उनके अंदर अंग्रेजों के खिलाफ आग सुलग रही थी और इसी बात का बदला लेने के लिए उन्होंने अंग्रेज़ गवर्नर माइकल ओ डायर को मौत के घाट उतारा था। इस घटना को अंजाम देने से पहले उधम सिंह ने साल 1924 में दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाव्बे, ब्राजील और अमेरिका की यात्रा पर चले गए थे और वहां जाकर उन्होंने धन इकट्ठा किया था।

भगत सिंह से काफी प्रेरित थे उधम सिंह

भगत सिंह से काफी प्रेरित थे उधम सिंह

साल 1927 को जब वो भारत लौटे तो अंग्रेज़ों ने उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल रहने के चलते गिरफ्तार कर लिया था, इसके कारण उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई। 1931 को उधम सिंह जेल से रिहा हुए लेकिन पंजाब पुलिस ने उनका पीछा नहीं छोड़ा, बचते-बचाते वो कश्मीर गए और वहां से जर्मनी के लिए रवाना हो गए थे, वो भगत सिंह से काफी प्रेरित थे।

मोटी किताब में छुपाया था रिवॉल्वर

मोटी किताब में छुपाया था रिवॉल्वर

जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को लंदन के काक्सटन हॉल में हो रहे समारोह में डायर बतौर वक्ता मौजूद था। उधम एक दिन पहले ही बैठक स्थल पर पहुंच गए और अपनी रिवॉल्वर उन्होंने एक मोटी किताब में छिपा ली थी। बैठक के बाद उधम सिंह ने माइकल ओ डायर पर गोलियां दाग दीं, उसकी हत्या के जुर्म में ही उधम सिंह को फांसी की सजा हुई थी।

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English summary
India became the land of free in 1947 after years of struggle for freedom and sacrifices of human lives. One of the heroes who laid his life in India’s Independence was Shaheed-i-Azam Sardar Udham Singh.
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