Shaheed Diwas: आजादी को अपनी दुल्हन कहने वाले भगत सिंह ने दिया था 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा
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नई दिल्ली। 23 साल की उम्र में हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूलने वाले शहीद भगत सिंह की हर बात निराली थी। मौत को महबूबा और आजादी को अपनी दुल्हन कहने वाले भगत सिंह के बारे में इतना कुछ लिखा गया है, जिसे पढ़ने के बाद हर बार उनकी एक अलग और नई छवि लोगों की आंखो के सामने आ जाती है। भगत सिंह शुरु से ही बड़े अलग थे, जिस वक्त बच्चे मां की गोदी में सिर रखकर राजा-रानी की कहानियों की बातें करते थे, उस वक्त भगत सिंह वतन की आजादी की बात किया करते थे, जिस वक्त बच्चे खिलौने से खेलते थे, उस वक्त भगत सिंह बंदूक का जिक्र करते थे।
चलिए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें....
जलियांवाला बाग हत्याकांड
कहा जाता है कि भगत सिंह के विचार जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद ही बदल गए थे, इस हत्याकांड ने ही उनके अंदर आजादी की ललक पैदा कर दी थी। जिस वक्त ये कांड हुआ था, उस वक्त भगत सिंह की उम्र मात्र 12 साल थी।
बोतल में रखी थी मिट्टी
कहते हैं जलियांवाला बाग हत्याकांड वाले दिन उन्होंने घटनास्थल से मिट्टी उठाकर अपने बोतल में रखी थी और उसके बाद वो हर रोज उसकी पूजा करके भारत मां को आजादी की जंजीरों से आजादी चाहते थे।
लेनिन, मार्क्स और ट्रॉटस्काई से थे प्रभावित
वैसे भगत सिंह नास्तिक थे, ऐसा प्रमाण उनके उन खतों से मिलता है, जो कि उन्होंने जेल में बंद होने के दौरान लिखे थे। वो कहते थे परमात्मा तो हर किसी के दिल में बसता है। लेनिन, मार्क्स और ट्रॉटस्काई को पढ़ने के बाद भगत सिंह का भरोसा मूर्ति पूजा से उठ गया था।
कहा मेरी दुल्हन तो आजादी है
भगत सिंह के क्रांतिकारी ख्यालों से उनके घरवाले काफी भयभीत हो गए थे और इसी कारण उन्होंने भगत सिंह की शादी कराने की सोची थी लेकिन भगत सिंह ने शादी से इंकार कर दिया था और कहा था कि मेरी दुल्हन तो आजादी है।
'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा
भगत सिंह के बारे में कहा जाता है कि वो समाजवाद से प्रभावित थे और उन्होंने ही देश को 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा दिया था।
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