Shaheed Diwas 2021: मोहब्बत की वजह से भगत सिंह ने असेंबली में फेंका था बम
नई दिल्ली। भारत के अमर सपूत क्रांतिकारी शहीद-ए-आजम भगत सिंह को आज ही के दिन फांसी दी गई थी। 23 साल की जवानी को बसंती रंग पर कुर्बान करने वाले भगत सिंह ने भारत मां को गुलामी की बेड़ियों से आजाद कराने के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। ये देश उनके बलिदान को कभी भी भूल नहीं पाएगा। युवा भगत सिंह का शहीद-ए-आजम बनने की की कहानी भी कम रोचक नहीं है।
भगत सिंह लाहौर के नेशनल कॉलेज में पढ़ते थे
दरअसल साल 1929 में अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने के लिए लाहौर एंसेबली में बम फेंकने की योजना बनायी गई थी। भगत सिंह उस वक्त लाहौर के नेशनल कॉलेज में पढ़ते थे और उस समय एक सुंदर लड़की को उनसे प्रेम हो गया था। भगत सिंह के कारण वह भी क्रांतिकारी दल में शामिल हो गई थी।
चंद्रशेखर आजाद ने पहले मना कर दिया
मकसद सिर्फ एक था कि उसे भगत सिंह का साथ मिलता रहे। जब असेंबली में बम फेंकने की योजना बनी तो चंद्रशेखर आजाद ने भगत सिंह को ये जिम्मेदारी देने से मना कर दिया क्योंकि उन्हें लगता था कि भगत सिंह की संगठन को जरूरत है।
भगत सिंह को बहुत दुख हुआ
लेकिन तभी भगत सिंह के मित्र सुखदेव ने उन्हें ताना कसा कि उस लड़की के कारण उन्हें ये काम नहीं सौंपा गया है, जिसे सुनने के बाद भगत सिंह को बहुत दुख हुआ, वो आजाद के पास गए और उन्होंनं जिद की ये काम उन्हीं को सौंपा जाए, उनके हठ को देखते हुए आजाद ने भगत सिंह को हां बोल दिया। इसके बाद भगत सिंह ने सुखदेव को खत लिखा, जिसमें उन्होंने प्रेम की व्याख्या की थी।
शिववर्मा ने अपनी पुस्तक में किया है जिक्र
उन्होंने सुखदेव से कहा था कि प्रेम हमेशा ताकत देता है, बांधता नहीं है, प्रेम में शक्ति होती है वो किसी को कमजोर नहीं बनाता। ये खत असेंबली धमाकों के तीन दिन बाद सुखदेव को मिला था। इस बात का जिक्र भगत सिंह के निकटस्थ सहयोगी शिववर्मा ने अपनी पुस्तक में किया है।
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