PICS: ऐसे त्योहार जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे
बेंगलौर। भारत विभिन्न रंगों, त्योहारों, धर्म एवं जातियों का संगम है। यहां लोग सैकड़ों परंपराओं और संस्कृति के साथ मिलकर रहते हैं। सभी संस्कृतियों की अपनी अपनी अलग पहचान और रीति रिवाज होते हैं। ठीक उसी तरह हर राज्य, हर जातियों का भिन्न त्योहार होता है, जिसे पूरे धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
कई त्योहार काफी लोकप्रिय हैं, जो पूरे देश में मनाया जाता है, जैसे कि होली, दिवाली, दशहरा, ईद आदि। लेकिन कई पर्व ऐसे भी हैं जो किसी विशेष समुदाय द्वारा ही मनाया जाता है। जिसमें सिर्फ स्थानीय लोग ही हिस्सा लेते हैं। लेकिन इन पर्व- त्योहारों का भी अलग जोश और उत्साह होता है। यहां हम आपको ऐसे ही त्योहारों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी जानकारी से शायद ही आप कभी रूबरू हुए होगें।
तो फिर, बढ़ाइए स्लाइडर और देखिए ऐसे त्योहार जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे:
बूका भाओना पर्व
जोरहाट में बूका भाओना पर्व में मिट्टी में लोग लोट-लोट कर ईश्वर की प्रार्थना करते हैं।
नौखाई पर्व
असम के तिनसुकिया में उड़िया नौखाई पर्व मनाते पोवाई मार्गहरिटा के जनजाति ।
संथाल पर्व
पश्चिम बंगाल के बीरभूम में संथाल पर्व के दौरान इलामबाजार में स्थानीय नृत्य करते लोग।
कर्मा त्योहार
कर्मा पर्व के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम करते रांची में स्थानीय कलाकार।
पोला त्योहार
नागपुर में पोला त्योहार के दौरान पेली-काली मारबात रस्म करते लोग।
सुंग्रेमोंग पर्व
नागालैंड के दीमापुर में नागा आदिवासी सुंग्रेमोंग त्योहार मनाते हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार के नृत्य प्रस्तुत किये जाते हैं, जो अद्भुत होते हैं।
तुलूनी पर्व
असम के तिनसुकिया में सुमी नागा जनजाति अपने पारंपरिक तुलूनी त्योहार मनाते हुए।
बाइखो पर्व
गुवाहाटी में राभा जनजातियों द्वारा बाईखो पर्व मनाया जाता है। यह समुदाय की समृद्धि के लिए मनाया जाता है।
करबी दोमाही पर्व
गुवाहाटी में करबी दोमाही पर्व के उपलक्ष्य में खतरनाक नृत्य प्रस्तुत किया जाता है।
दियोधनी पर्व
गुवाहाटी में मनाया जाने वाला दियोधनी पर्व के दौरान दियोधनी नृत्य किया जाता है। कामाख्या मंदिर में यह काफी रंगारंग कार्यक्रम होता है।
मंडा पर्व
रांची में मंडा पर्व के उपलक्ष्य में मंदिर के सामने कुछ इस तरह से लेट कर प्रार्थना की जाती है।
मंडा पर्व
मंडा पर्व के दौरान सिर पर मटकी लिए लाइन बनाकर जाती आदिवासी महिलाएं।
चितरई पर्व
मदुरै में चितरई पर्व पर भगवान कालाज़ार की प्रतिमा के समक्ष लोग नहाते हैं। कई बार पानी इतना गंदा हो जाता है कि बीमारियां लगने की आशंका बढ़ जाती है।
जालीकट्टू पर्व
मदुरै में जालीकट्टू पर्व के दौरान कुछ युवक बैल के साथ कुछ ऐसे भिड़ते हैं। यह काफी खतरनाक और जानलेवा होता है।
श्री वलयानाद देवी मंदिर पर्व
कोजीकोड में श्री वलयानाद देवी मंदिर पर्व के दौरान 'पल्लीवेट्टा' जुलूस निकालते लोग।
ल्हूटी पूर्णिमा पर्व
नेपाली हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाला ल्हूटी पूर्णिमा पर्व लोग ''बालाजु बैसे धरा'' की पानी खुद पर छींटते हैं।
दांडा पर्व
गंजम जिले के हरीगृह गांव में कुछ इस प्रकार से दांडा पर्व मनाया जाता है।
हार्नबिल पर्व
नागालैंड में हार्नबिल पर्व के दूसरे दिन मणिपुर से आए कलाकार नृत्य करते हुए।
चुंथुनी त्योहार
मणिपुर में चुंथुनी त्योहार के मौके पर भाला नृत्य किया जाता है, जो बेहद खतरनाक होता है।
तुलूनी पर्व
दीमापुर में तुलूनी पर्व के दौरान वहां की स्थानीय महिलाएं। यह त्योहार अच्छी फसल के लिए किया जाता है।
होर्नबिल पर्व
कोहिमा में होर्नबिल पर्व के मौके पर नागा आदिवासी खतरनाक करताब के साथ नृत्य प्रस्तुत करते हैं।
त्रिंग पर्व
अगरतला में त्रिंग पर्व के दौरान पारंपरिक वेशभूषा में महिलाएं।
अंबूबच्ची पर्व
अगरतला के लक्ष्मी नारायण मंदिर में अंबूबच्ची पर्व मनाती महिलाएं।
गंजन त्योहार
अगरतला में शिवा गंजन त्योहार के मौके पर कुछ इस प्रकार पूजन किया जाता है।