Rashtriya Ekta Diwas: जानिए वल्लभ भाई पटेल को क्यों कहते हैं सरदार?
नई दिल्ली (पीआईबी)। 'काम पूजा है लेकिन हास्य जीवन है जो जीवन को अति गंभीरता से जीता है उसे अपने दुखी अस्तित्व के लिए भी तैयार रहना चाहिए' कुछ ऐसे ही विचारधारा के थे लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल के, जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिए अर्पित कर दिया। गुजरात के कैरा जिले के नादियाद गांव के किसान लदबाई और झावेरिबाई पटेल के घर पांच भाई-बहनों में पैदा हुए बल्लभभाई बचपन से ही काफी तीव्र और कुशाग्र बुद्दि वाले थे। सरदार पटेल नेतृत्व की उस वर्ग से आते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता संघर्ष और स्वतंत्रता पश्चात देश की संरचना दोनों में सकारात्मक दिशा दिखाई। उनकी वजह से ही आज पूरा भारत एक है, वरना जो नक्शा भारत का आज हम देखते हैं वो कभी नहीं होता क्योंकि एक ही देश में बहुत सारी रियासतें होंती। अगर पटेल न होते तो भारत के कई हिस्सों के कई टुकडे हो चुके होते, उन्होंने अपने दम पर ही प्रान्तों के विघटन को रोका था बस कश्मीर पर वे अपनी नीति लागू नहीं कर पाए जिसकी कीमत आज भी हम चुका रहे हैं।
वल्लभभाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि
बारडोली सत्याग्रह, भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में गुजरात में हुआ था जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने किया था। उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में तीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी। पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया। सरकार ने इस सत्याग्रह आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए, पर अंतत: विवश होकर उसे किसानों की मांगों को मानना पड़ा। इस सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि प्रदान की।
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