भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान जैगुआर से जुड़े 10 रहस्य
इलाहाबाद से 13 किलोमीटर की दूरी पर अभ्यास के दौरान मंगलवार की सुबह जैगुआर विमान क्रैश हो गया। सच पूछिए तो भारतीय वायुसेना के लिये यह एक बड़ी क्षति है, क्योंकि वायुसेना के सबसे महंगे विमानों में से एक जैगुआर है।
खैर सबसे ज्यादा राहत की बात यह है कि इस हादसे में दोनों पायलट सुरक्षित बच निकले। अब यह जांच का विषय है कि जैगुआर कैसे दुर्घटनाग्रस्त हुआ। बामरौली हवाई पट्टी से विमान ने उड़ान भरी ही थी कि कुछ ही मिनटों बाद पायलटों ने ग्राउंड स्टाफ को विमान में तकनीकी गड़बड़ी पाए जाने के संकेत भेज दिये थे। पायलट जब विमान को नियंत्रित कर पाने में विफल रहे, तो उन्होंने खुद को सुरक्षित करते हुए पैराशूट के जरिये विमान से बाहर निकल गए और उसे छोड़ दिया, जिसके बाद विमान नैनी इलाके में फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के गोदाम के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
जमीन पर गिरने के बाद विमान में आग लग गई और दमकल की गड़ियों को आग बुझाने के लिए भेजा गया। इलाके की घेराबंदी कर दी गई है। जमीन पर किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचा है।
चलिये अब स्लाइडर में पढ़ते हैं जैगुआर विमान से जुड़ी वो बातें, जो आप अब तक नहीं जानते थे।
जैगुआर की कीमत?
एक जैगुआर विमान की कीमत 95 करोड़ रुपए होती है।
भारत में कब आया जैगुआर?
भारत की जमीन पर पहली बार 27 जुलाई 1979 को यह विमान उतरा।
जैगुआर के बाद चल बसे वैम्पायर
जिस साल जैगुआर भारत आया, उसी साल डी हेविललैंड के वैम्पायर विमान रिटायर हो गये।
कैनबेरा, हॉकर हुए आउटडेटेड
जैगुआर के आते ही 1957 में भारतीय वायुसेना ने कैनबेरा बी और हॉकर हंटर को आउटडेटेड करार दे दिया।
जैगुआर उड़ाने वाले पहले भारतीय
जैगुआर उड़ाने वाले पहले भारतीय पूर्व विंग कमांडर डा. नडकर्नी थे, जो जैगुआर की ट्रेनिंग के लिये यूके गये दल के कमांडर थे। वे अन्य पालटों के साथ 25 फरवरी 1979 को लंदन पहुंचे थे।
जैगुआर से पहले सी सरवाईवल ट्रेनिंग
जैगुआर उड़ाने के लिये ट्रेनिंग से पहले पायलट का मेडिकल चेकअप होता है, उसके बाद सी-सरवाइवल ट्रेनिंग। यानी शून्य डिग्री से नीचे समुद्र में कूदने के बाद आप कैसे बाहर निकल सकते हैं।
अमेरिका ने की थी जासूसी
डा. नडकर्नी के अनुसार जब पहली बार जैगुआर को भारत ला रहे थे, तब आसमान में हजारों फीट की ऊंचाई पर अमेरिकी विमान ने उनका पीछा किया था और तस्वीरें खींची थीं।
जैगुआर का भारतीय नाम
जैगुआर भारत आया तो उसका नाम इंद्र (अंग्रेजी में INDRA) सुझाया गया, लेकिन एयर चीफ मार्शल दिलबाग सिंह ने इस नाम को सिर्फ इसलिये मना कर दिया, क्योंकि यह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलता था।
जैगुआर का भारतीय नाम डरीन
डीआरडीओ ने जैगुआर को नाम डरीन (DARIN) दिया। जिसका फुल फॉर्म है- डिस्प्ले अटैक रेंजिंग इनर्शियल नेवीगेशन।
परमाणु हथियार से लैस
मिराज के बाद जैगुआर भारतीय वायुसेना का एक मात्र विमान है, जो परमाणु हथियारों से लैस हो सकता है।