Happy Birthday Maulana Azad: एक ऐसे नेता, देशभक्त, शिक्षाविद जिन्हें भुलाना नामुमकिन
नई दिल्ली। देश की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले मौलाना अबुल कलाम आजाद का योगदान काफी अहम है। उन्हें ना सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है बल्कि आजादी के बाद देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए भी याद किया जाता है। अबुल कलाम आजाद को आजाद देश का पहला शिक्षा मंत्री बनाया गया था। उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
कई आदोलन में लिया हिस्सा
अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1988 में मक्का के सऊदी अरब में हुआ था, उनका पूरा नाम मौलाना सैय्यद अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन अहमद आजाद था, लेकिन उन्हें मौलाना आजाद के नाम से जाना जाता है। उन्होंने लिखने के लिए आजाद नाम का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। मौलाना आजाद उर्दू में शायरी लिखा करते थे, वह धर्म से जुड़े दर्शन भी लिखा करते थे, उन्होंने बतौर पत्रकार भी अपनी भूमिका निभाई और ब्रिटिश सरकार की जमकर आलोचना की। मौलाना आजाद को खिलाफत आंदोलन के लिए भी जाना जाता है, इसी दौरान वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संपर्क मे आए थे और वह उनके अहिंसा के सिद्धांत को मानने लगे। मौलाना आजाद ने गांधीजी द्वारा चलाए गए स्वदेशी आंदोलन, असहयोग आंदोलन में खुलकर हिस्सा लिया और 1919 के रॉलेट एक्ट का भी जमकर विरोध किया।
महात्मा
गांधी
से
थे
प्रेरित
महात्मा
गांधी
के
आदर्शो
और
सिद्धांतों
का
मौलाना
आजाद
पर
काफी
प्रभाव
पड़ा।
मौलाना
आजाद
ने
महज
35
वर्ष
की
आयु
में
ही
कांग्रेस
पार्टी
की
कमान
संभाल
ली
थी
और
पार्टी
के
अध्यक्ष
बन
गए
थे।
1920
में
वह
जामिया
मिलिया
इस्लामिया
की
संस्थापक
कमेटी
के
सदस्य
बने,
उन्होंने
बिना
ब्रिटिश
सरकार
की
मदद
के
इस
संस्थान
को
खड़ा
किया।
संस्थान
के
मुख्य
द्वार
का
नाम
भी
मौलाना
आजाद
के
नाम
पर
ही
रखा
गया
है।
जेल
भी
गए
हिंदू
और
मुस्लिम
एकता
के
लिए
काम
करने
के
लिए
भी
मौलाना
आजाद
को
याद
किया
जाता
है।
उन्होंने
1931
में
धारासना
सत्याग्रह
की
शुरुआत
की
गई
थी,
वह
सेक्युलर
और
सोशलिस्ट
विचाराधार
के
समर्थक
थे
और
जीवन
पर्यंत
उन्होंने
इस
विचारधारा
को
आगे
बढ़ाने
के
लिए
काम
किया।
जिस
समय
वह
कांग्रेस
के
अध्यक्ष
बने
उसी
कार्यकाल
में
अंग्रेजो
भारत
छोड़ो
आंदोलन
की
शुरुआत
की
गई
थी,
इस
दौरान
आजाद
जेल
भी
गए,
उनके
साथ
शीर्ष
कांग्रेस
के
नेता
भी
जेल
गए।
आईआईटी,
यूजीसी
की
स्थापना
में
अहम
शिक्षा
के
क्षेत्र
में
मौलाना
आजादा
का
योगदान
हमेशा
याद
किया
जाएगा।
उन्हें
ना
सिर्फ
जामिया
मिलिया
की
स्थापना
बल्कि
देश
के
कई
और
शीर्ष
संस्थानों
की
स्थापना
के
लिए
याद
किया
जाता
है।
देश
में
आईआईटी
की
स्थापना
का
श्रेय
भी
उन्हे
जाता
है,
इसके
अलावा
उन्होंने
यूजीसी
की
भी
स्थापना
में
विशेष
योगदान
दिया
जोकि
तमाम
विश्वविद्यालयों
पर
निगरानी
रखती
है।