क्विक अलर्ट के लिए
For Daily Alerts
Pandit Deendayal Upadhyay (1916-1968): ऐसा नेता जिसमें सच कहने की ताकत थी
नई दिल्ली। पं. दीनदयाल उपाध्याय की पहचान एक महान चितंक के रूप में है, वो नई सोच और प्रगतिशील शोधक के रूप में लोगों के बीच में लोकप्रिय हैं। आज इन्हीं महान आत्मा का जन्मदिवस है।
आइए डालते हैं पं.दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर एक नजर
- पं. दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को यूपी के मथुरा जिले में हुआ था।
- इनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था। माता रामप्यारी धार्मिक वृत्ति की थीं।
- वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे।
- उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी।
- सरदार वल्लभभाई पटेल की Biography: भारत के बिस्मार्क और लौह पुरूष
सच कहने वाले व्यक्ति के रूप में पहचान
- दीनदयाल की छवि एक सरल, सौम्य लेकिन सच कहने वाले व्यक्ति के रूप में थी।
- राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी।
- उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में कई नाटकों को लेखनी प्रदान की है।
- उन्होंने ही चन्द्रगुप्त नाटक लिख डाला था।
- दीनदयाल ने पिलानी, आगरा और प्रयाग में शिक्षा प्राप्त की।
- मैट्रिक और इण्टरमीडिएट-दोनों ही परीक्षाओं में गोल्ड मैडल।
- बीएससी, बीटी करने के बाद भी उन्होंने नौकरी नहीं की।
- छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता हो गये थे।
- कालेज छोड़ने के तुरन्त बाद वे उक्त संस्था के प्रचारक बन गये और एकनिष्ठ भाव से संघ का संगठन कार्य करने लगे।
- सन 1951 ई० में अखिल भारतीय जनसंघ का निर्माण होने पर वे उसके संगठन मंत्री बनाये गये।
- दो वर्ष बाद सन् 1953 ई० में दीन दयाल अखिल भारतीय जनसंघ के महामंत्री निर्वाचित हुए और लगभग 15 वर्ष तक इस पद पर रहकर उन्होंने अपने दल की अमूल्य सेवा की।
- राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और स्वदेश जैसी पत्र-पत्रिकाएं प्रारम्भ की।
- उनकी कौशलता से ही खुशहोकर 1953 में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि यदि मेरे पास और दो दीन दयाल हों तो मै भारत का राजनीतिक रूप बदल दूंगा।
शिक्षा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
Recommended Video
Mughalsarai
railway
station
to
be
named
after
Pandit
Deendayal
Upadhyaya|
वनइंडिया
हिंदी
मेरे पास और दो दीन दयाल हों तो
11 फरवरी 1968
स्वतंत्रता के पश्चात समाजवाद, मार्क्सवाद, पूंजीवाद जैसे मॉडल देश के सामने थे, प्रधानमंत्री नेहरु को देश के आमजनमानस का विश्वास हासिल था लेकिन उस वक्त किसी के अंदर उनकी नीतियों पर सवाल खड़ा करने की हिम्मत थी तो वो दीनदयाल ही थे। वैसे पंडित दीन दयाल उपाध्याय का दृष्टिकोण सिर्फ विरोध का नहीं बल्कि रचानात्मक भी था। इसलिए ही वो कालीकट अधिवेशन (दिसम्बर 1967) में वे अखिल भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। लेकिन 11 फरवरी 1968 की रात में रेलयात्रा के दौरान मुगलसराय के आसपास उनकी हत्या कर दी गयी।
Comments
English summary
Pandit Deendayal Upadhyay (25 September 1916 – 11 February 1968) was an Indian politician . He was one of the most important leaders of the Bharatiya Jana Sangh, the forerunner of the present day Bharatiya Janata Party
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें