Pakistan Debt Crisis: कुल जीडीपी का 78 प्रतिशत विदेशी कर्ज ले चुका है ‘परमाणु हथियार संपन्न’ पाकिस्तान
पाकिस्तान की आर्थिक हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। अब स्थिति यह हो गयी है कि वहां रोटियों के लिए गोलियां चल रही हैं।
Pakistan Debt Crisis: डिफॉल्टर होने के कगार पर खड़े पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले 8 साल में सबसे निचले स्तर यानी करीब 4.6 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। यह विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो चुका है कि पाकिस्तान अगले दो से तीन सप्ताह तक ही माल का आयात कर पाएगा। सरकार भारी कर्ज में है और इंतजार कर रही है कि IMF और अन्य संस्थानों से उसे कैसे भी कर्जा मिल जाए। इससे पहले, पाकिस्तान पिछले 3 दशक में IMF के सामने 23 बार हाथ फैला चुका है।
डिफाल्टर हो जायेगा पाकिस्तान
जनवरी 2023 तक पाकिस्तान का कुल कर्ज 62.46 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपया (274 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के आसपास है। जो पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 79 प्रतिशत है। वर्तमान में 2023 की पहली तिमाही (जनवरी से मार्च) में 8 बिलियन डॉलर से अधिक का कर्ज पाकिस्तान को चुकाना है। वहीं पाकिस्तान को अगले छह महीने में 13 बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना है।
पाकिस्तान के वित्तमंत्री इशहाक डार को उम्मीद है कि चीन और सऊदी अरब 13 अरब डॉलर का नया कर्ज पाकिस्तान को देंगे। हालांकि, दोनों देशों की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। दूसरी तरफ, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने भी कर्ज देने में आनाकानी शुरू कर दी है। ऐसे में जनवरी से मार्च के क्वॉर्टर में विदेशी कर्ज चुकाने और जरूरी सामान आयात करने के लिए पाकिस्तान के पास पैसा नहीं है। जिससे बाजारों में माल न होने से महंगाई बढ़ जाएगी जिसका सीधा असर पाकिस्तानी जनता को भुगतना पड़ेगा।
दुनियाभर का कर्जा है पाकिस्तान पर
पाकिस्तान के अखबार 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान से 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की किश्त मांगी है। इसका मतलब है कि जहां एक तरफ पाकिस्तान कर्जे की आस में है, वहीं उसके कथित मित्र चीन ने पुराना कर्जा वापस करने का दवाब भी बनाना शुरू कर दिया है। चीन के अलावा, पाकिस्तान ने दुनियाभर के देशों से कर्जा ले रखा है। इनमें अमेरिका, यूएई, सऊदी अरब, IMF, विश्व बैंक समेत कई अंतरराष्ट्रीय बैंक और संस्थाएं शामिल हैं।
चीन सबसे बड़ा देनदार
पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा कर्जा चीन से ले रखा है। पाकिस्तान के इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, मार्च 2022 तक 14.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज अकेले चीन का है। हालांकि, IMF का अनुमान है कि पाकिस्तान पर चीन का 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्जा है। इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक पाकिस्तान पर चीन के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज (SAFE) का भी 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज है। इसके अलावा चीन के बैंक ऑफ चाइना, ICBC और चाइना डेवलपमेंट बैंक को भी पाकिस्तान को कर्जा लौटना है। गौरतलब है कि पाकिस्तान, चीन को लगभग 4.5% से 6% तक का ब्याज भी दे रहा है। फोर्ब्स के मुताबिक पाकिस्तान पर चीन सरकार सहित उसके विभिन्न बैंकों का कुल 77.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज है।
अमेरिका के भी एहसान तले दबा है पाकिस्तान
पाकिस्तान स्थित अमेरिकी दूतावास के मुताबिक पाकिस्तान में जब-जब आर्थिक मोर्चे पर संकट आया है, तब-तब अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद की है। इसमें द्विपक्षीय व्यापार, दवाइयां, ऊर्जा, और रक्षा जैसे विषय शामिल है। कोरोना के समय में भी अमेरिका ने मदद की थी। दूतावास के मुताबिक पिछले बीस सालों में, अमेरिका ने पाकिस्तान के लोगों को सीधे तौर पर 32 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा सहायता राशि प्रदान की है। साथ ही कोविड काल में पाकिस्तान में स्वास्थ्य सहयोग देने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने लगभग 80 मिलियन अमेरिकी वैक्सीन खुराक दान दी। इसके अलावा, बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए और महामारी से निपटने में पाकिस्तान में 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश भी किया।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का कर्ज
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच मुलाकात के बाद यूएई ने 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर मदद देने का वादा किया है। जिसमें से यूएई ने 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त कर्जा सहित पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक में मौजूद 2 अरब डॉलर को रोलओवर करने (कर्ज चुकाने की अवधि आगे बढ़ाना) की सुविधा शामिल हैं।
सऊदी अरब ने भी पाकिस्तान को बचाया है
अगस्त 2022 में ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी वित्त मंत्रालय ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के साथ अपने 3 अरब अमेरिकी डॉलर के कर्ज को फिर से रिन्यू करने की योजना बनाई है। साथ ही सऊदी अरब ने पाकिस्तान को पेट्रोलियम उत्पादों पर 10 महीने के लिए हर माह 100 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त सहायता देने की भी सहमती दी है।
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इसके बाद, 8 दिसंबर 2022 को पाकिस्तान ने सऊदी अरब को खत लिखकर जल्द-से-जल्द 3 अरब अमेरिकी डॉलर कर्ज देने की फिर से गुहार लगाई है। जिस पर सऊदी सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है। हालांकि, सऊदी के वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जादान ने स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में कहा कि अब हम लोन देने की प्रक्रिया में बदलाव कर रहे है। पहले बिना शर्त पैसे देते थे लेकिन अब हम उस देश में निवेश करेंगे। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब अब पाकिस्तान की मदद सीधे तौर पर नहीं करेगा बल्कि वहां 10 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा।
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