My Voice: आज हर मां-बाप अपने बच्चों को आइंस्टीन बनाना चाहते हैं
My Voice कॉलम में कानपुर निवासी और शिक्षिका अनुगीत अरोड़ा ने कहा है आज मां-बाप अपनी इ्च्छाओं की भरपाई अपने बच्चों से करते हैं इसलिए आज नर्सरी का बच्चा भी भारी बैग के बोझ तले दब रहा है जिसके चलते बच्चे अपनी मासूमियत खो रहे हैं।
बच्चे अपनी मासूमियत खो रहे हैं
उनका बाल सुलभ मन समझ ही नहीं पाता कि वो कहां जायें, उम्र की सीमा उन्हें कुछ समझा नहीं पाती और किताबों का बोझ उनकी पीठ को झुकाता चला जाता है।
मां-बाप का बच्चों को बार-बार पढ़ाई के लिए बोलना और टोकना उनके बच्चों को पढाई से दूर कर रहा है, बच्चों के अंदर डर पैदा कर रहा है जो कि उचित नहीं है।
आज हर मां-बाप अपने बच्चों को आइंस्टीन बनाना चाहते हैं
लंबे अरसे से छोटे शहरों और बड़े शहरों की शिक्षा पर नजर रखने वाली अनुगीत ने सोसायटी के सोकॉल स्मार्ट मम्मी-पापा से इल्तजा की है कि वो अपने बच्चों के दिमाग में छोटे शहरों और बड़े शहरों की बातें ना भरें क्योंकि छोटे शहर के बच्चे भी अपने सपनों को उड़ान दे सकते हैं तो वहीं बड़े शहरों के बच्चों की उड़ान भी थम सकती हैं।
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दोनों ही जगह किताबें तो समान ही होती हैं फर्क सिर्फ इतना होता है कि बड़े शहरों में लोगों को एक्सपोजर ज्यादा मिल जाता है क्योंकि बुनियादी जरूरतों की कमी वहां नहीं होती है।
बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर काम करें
इसलिए मां-बाप, बेहतर होगा सिस्टम को कोसने के बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर काम करें। वैसे सही मायने में आज बच्चों से पहले उनके पैरेंटस के व्यक्तित्व पर काम करने की जरूरत है क्योंकि आज हर मां-बाप अपने बच्चों को Albert Einstein बनाना चाहते हैं जो कि सरासर गलत है।
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