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Child sexual abuse: जानिए बाल यौन शोषण से जुड़ी कुछ जरूरी बातें
नई दिल्ली। आज पूरा भारत बच्चों के खिलाफ बढ़ रहे यौन शोषण के मामले से परेशान है, बच्चों को पता ही नहीं होता कि वो कब और कैसे किसी के हवस का शिकार बन जाते हैं इसलिए आज हर मां-बाप अपने बच्चे की सुरक्षा को लेकर परेशान रहता है, इसलिए अब वक्त आ गया है कि इस मसले पर गंभीरता से विचार किया जाए।
चलिए जानते हैं बाल-यौन शोषण से जुड़े कुछ डरावने सच...
पीडोफीलिया
- जो लोग बच्चों के साथ अपनी यौन-तृप्ति करते हैं उनके लिए साइको साइंस में पीडोफीलिया शब्द का प्रयोग किया जाता है, ऐसे रोगियों को बच्चों के साथ ही यौन क्रिया करने में मजा आता है।
- मनोविज्ञान के मुताबिक पीडोफीलिया पीड़ित व्यक्ति कुंठा ग्रसित होता है, उसके इतिहास में जायें तो हमें पता चलेगा कि उसके अल्प मस्तिष्क में कुछ ऐसी नाराजगी या आक्रोश भरा होता है जो कि आगे चलकर उसे बहशी या दानव बना देता है।
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बालकों का संरक्षक अधिनियम
- हालांकि हमारे देश में इस अपराध के खिलाफ नये कानून लैंगिक अपराध से बालकों का संरक्षक अधिनियम, 2011 में संशोधन किया गया है।
- नए कानून के मुताबिक बच्चों के सामने अश्लील हरकतें भी अपराध के अंदर आती हैं।
- अगर कोई अंजान व्यक्ति किसी मासूम बच्चे के गाल या हाथ को छूता है तो भी यह यौन-शोषण का ही हिस्सा हुआ और वो अपराधी की श्रेणी में आयेगा।
- अगर कोई अजनबी व्यक्ति बच्चों या किशोरों के सामने अश्लील किताबें, पोस्टर या अश्लील गाने या सीडी भी सुनता है या देखता है तो वो भी अपराधी होगा।
- भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक विभिन्न प्रकार के शोषण में पांच से 12 वर्ष तक की उम्र के छोटे बच्चे शोषण और दुर्व्यवहार के सबसे अधिक शिकार होते हैं।
- भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक शोषण तीन रूपों में सामने आता है: शारीरिक, यौन और भावनात्मक।
- एक सर्वे के मुताबिक भारत में 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे किसी न किसी प्रकार के शारीरिक शोषण के शिकार होते हैं।
- पारिवारिक स्थिति में शारीरिक रूप से शोषित बच्चों में 88.6 प्रतिशत का शारीरिक शोषण उनके रिश्तेदार ही करते हैं।
किसी मासूम बच्चे के गाल या हाथ को छूना अपराध है...
कुछ चौंकाने वाली बातें
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English summary
Child abuse is the physical, sexual or emotional maltreatment or neglect of a child or children.Child sexual abuse laws in India have been enacted as part of the nation's child protection policies.
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