गवरनेंस मजाक नहीं, केजरीवाल जी अब नो उल्लू बनाविंग
सबसे पहले आपको बताना चाहेंगे कि आज सुबह ही केजरीवाल ने प्रेसवार्ता करके कहा कि उन्होंने चुनाव पर निर्णय लेने के लिये दिल्ली के राज्यपाल नजीब जंग से एक सप्ताह रुकने की अपील की है। साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि दिल्ली में चुनाव की संभावना बेहद कम है, इसलिये आम आदमी पार्टी चुनाव के लिये तैयार हो जाये।
आप के लिये चुनाव के लिये तैयारी करना कोई बड़ी बात नहीं, क्योंकि उसे चंदे के पैसे से चुनाव लड़ना है और वो भी लो बजट में, खर्च तो चुनाव आयोग का होता है, जिसमें आम जनता का पैसा खर्च होता है। अगर लोकसभा चुनाव की ही बात करें तो इस साल 3426 करोड़ रुपए खर्च हुए। वहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव पर करीब 500 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इतने रुपए में तीन बड़े फ्लाईओवर बन सकते हैं, लेकिन केजरीवाल के लिये यह रकम बहुत छोटी है।
केजरीवाल कहते हैं, "500 करोड़ क्या चीज हैं, कांग्रेस-भाजपा ने तो इससे ज्यादा खर्च किया है। जब तक देश की व्यवस्था सही नहीं हो जाये, तब तक 100 बार भी चुनाव कराने पड़ें तो कराने चाहिये। फिर चाहे कितने ही करोड़ क्यों न खर्च हों।"
केजरीवाल का ओवर कॉन्फीडेंस
आप पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 28 सीटें जीती थीं, वहीं भाजपा ने 31 और कांग्रेस ने 8 सीटें जीतीं। चुनाव के बाद कांग्रेस और आप ने मिलकर सरकार बनायी, लेकिन मात्र 49 दिनों में केजरीवाल ने यह कहकर इस्तीफा दे दिया कि भाजपा-कांग्रेस काम नहीं करने दे रही हैं, ये दोनों पार्टियां लोकपाल बिल नहीं पास होने दे रही हैं।
केजरीवाल को बाद में अपनी गलती का अहसास हुआ। केजरीवाल ने कहा, "मुझे अपनी गलती का अहसास हो रहा है, मुझे इस्तीफा देने से पहले जनता की राय लेनी चाहिये थी।" मजेदार बात यह है कि जब तक आप की सरकार रही, तब तक केजरीवाल कहते रहे, कि उन्होंने कांग्रेस से कभी समर्थन नहीं मांगा, आज नौबत यह आ गई है कि वो खुद कांग्रेस से संपर्क कर रहे हैं, ताकि दिल्ली में फिर से सरकार बनायी जा सके।
अस्तित्व की जंग
केजरीवाल इस समय अपने अस्तित्व की जंग लड़ रहे हैं, यही कारण है कि लोकसभा चुनाव में हारने के बाद अब केजरीवाल राजनीति में बने रहने के लिये चुनाव लड़ना चाहते हैं। जाहिर सी बात है कि केजरीवाल एक बार फिर जनता के पास जायेंगे और नये-नये दावे ठोकेंगे- हम दिल्ली में पूर्ण बहुमत के साथ दोबारा आयेंगे, अहम बिजली लायेंगे, पानी लायेंगे, महंगाई कम करेंगे... वगैरह-वगैरह। लेकिन अब केजरीवाल के एक-एक शब्द पर जनता को वो दावा याद आयेगा, जिसमें उन्होंने नरेंद्र मोदी को 2 लाख वोटों से हराने की बात कही थी।
नो उल्लू बनाविंग
केजरीवाल का हा इस समय उस नेता के जैसा है, जो आईडिया के विज्ञापन में आता है, क्योंकि जिस तरह सपा और बसपा की तरह केजरीवाल ने मुस्लिम कार्ड खेलने के प्रयास लोकसभा चुनाव में किये, उससे साफ है कि आने वाले हरियाणा या फिर दिल्ली के चुनावों में जनता उनसे सिर्फ एक ही बात कहेगी, "नो उल्लू बनाविंग"।