क्या आपको पता है एमडीएच का फुल फॉर्म, तांगा चलाने वाला कैसे बना मसाला किंग
महाशय धर्मपाल गुलाटी के पिता महाशय चुन्नीलाल की सियालकोट में 'महाशय दी हट्टी' नाम से दुकान थी। इसी 'महाशय दी हट्टी' से आया है नाम एमडीएच।
नई दिल्ली। टीवी पर आपने एमडीएच मसाले का विज्ञापन जरूर देखा होगा और इस विज्ञापिन में मसालों की दुनिया के बादशाह कहे जाने वाले बुजु्र्ग महाशय धर्मपाल गुलाटी भी जरूर देखे होंगे। मसाला किंग आज धर्मपाल गुलाटी 94 साल के हो गए हैं। दुनियाभर में अपने मसालों के जायकों के लिए पहचान रखने वाले धर्मपाल गुलाटी की जिंदगी भी काफी उतार-चढाव भरी रही है।
महाशय धर्मपाल गुलाटी के पिता महाशय चुन्नीलाल की सियालकोट में 'महाशय दी हट्टी' नाम से दुकान थी। इसी 'महाशय दी हट्टी' से आया है एमडीएच। भारत के बंटवारे के वक्त परिवार सियालकोट से दिल्ली के करोलबाग में आकर बसा था।
बंटवारे के बाद भारत आकर धर्मपाल गुलाटी दिल्ली के कुतुब रोड़ पर तांगा चलाते थे। फिर मसालों को कूटकर बेचने लगे और वक्त के साथ उनका बिजनेस फैलता गया। आजकल महाशय गुलाटी परिवार के मुखिया की भूमिका में रहते हैं। हरेक बड़ा फैसला उनकी जानकारी के बाद ही लिया जाता है। महाशय धर्मपाल पक्के आर्यसमाजी हैं। अब भी आर्य समाज, कीर्ति नगर के होने वाले चुनावों में लड़ते हैं।
करोलबाग
में
नहीं
पहनते
चप्पल-जूते
धर्मपाल
गुलाटी
दिल्ली
के
करोलबाग
में
नंगे
पांव
घूमते
हैं।
इसकी
वजह
उन्होंने
अपने
एक
दोस्त
को
बताते
हुए
कहा,
काके,
करोल
बाग
में
जब
भी
आता
हूं
तो
जूते-चप्पल
पहनकर
नहीं
घूमता।
मेरे
लिए
करोल
बाग
मंदिर
से
कम
नहीं
है।
इसी
करोल
बाग
में
खाली
हाथ
आया
था।
यहां
पर
रहते
हुये
ही
मैंने
कारोबारी
जिंदगी
में
इतनी
बुलंदियों
को
छूआ।
आज
धर्मपाल
गुलाटी
भारत
के
सफल
बिजनेसमैन
हैं।